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सामान्य अध्ययन-3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता और न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; सार्वजनिक वितरण प्रणाली-उद्देश्य, कार्यप्रणाली, सीमाएं, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे; प्रौद्योगिकी मिशन; पशुपालन का अर्थशास्त्र।
संदर्भ:
हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने आत्मनिर्भरता और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना शुरू की।
प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PMDDKY 2025)

- 11 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना लॉन्च की।
- PMDDKY एक प्रमुख कृषि सुधार पहल है जिसका उद्देश्य भारतीय कृषि में उत्पादकता, स्थिरता और लाभप्रदता में सुधार करना है।
- इस योजना के तहत किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता, नए कृषि उपकरण, फसल बीमा और बेहतर बाजार पहुंच मिलती है।
- यह योजना केंद्रीय, राज्य और जिला स्तरीय निकायों के सहयोग से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
PMDDKY के उद्देश्य
- गुणवत्तापूर्ण बीजों और उन्नत तकनीक का उपयोग करके फसल की पैदावार में 20-30% की वृद्धि करना।
- आधुनिक सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से मानसून पर निर्भरता कम करना।
- दक्षता बढ़ाने के लिए यंत्रीकरण और किफायती उपकरण उपलब्ध कराना।
- कटाई के बाद होने वाले नुकसान को 5% से कम करने के लिए भंडारण अवसंरचना का निर्माण करना।
- 2030 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए ऋण, सब्सिडी और प्रत्यक्ष बाजार पहुँच की पेशकश करना।
योजना एकीकरण और शासन
- PMDDKY में 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा कृषि योजनाओं का एकीकरण किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- PM-KISAN (नकद हस्तांतरण)
- PMFBY (फसल बीमा)
- PMKSY (सिंचाई)
- राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
- कार्यान्वयन की निगरानी निम्नलिखित के माध्यम से की जाती है:
- केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय संचालन समिति।
- समन्वय के लिए राज्य स्तरीय नोडल समितियाँ।
- स्थानीय निष्पादन के लिए जिला कलेक्टरों के नेतृत्व में जिला धन धान्य समितियाँ।
- एक डिजिटल डैशबोर्ड 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) जैसे कि पैदावार, ऋण पहुंच और बुनियादी ढांचे के उपयोग को ट्रैक करता है।
PMDDKY को क्यों लॉन्च किया गया था?
- निम्न फसल उत्पादकता: उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के कई जिलों में खराब मिट्टी, सीमित सिंचाई और पुरानी विधियों के कारण उपज, राष्ट्रीय औसत से कम है।
- मानसून पर निर्भरता: लगभग 52% कृषि भूमि, वर्षा पर निर्भर है, जिससे सूखे या बिना मौसम के बारिश के आने से अस्थिरता उत्पन्न होती है।
- छोटी जोत: लगभग 86% किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है, जिस कारण उनकी औसत मासिक आय 10,218 (NSSO 2019) रुपये है।
- कटाई के बाद होने वाले नुकसान: कोल्ड स्टोरेज और गोदामों की कमी के कारण लगभग 20% फसलें खराब हो जाती हैं, जिससे 50,000 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान होता है (ICAR, 2023)।
योजना का महत्त्व
- यह योजना उपज अंतराल, अकुशल सिंचाई प्रणालियों और बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करके खराब प्रदर्शन करने वाले कृषि जिलों के रूपान्तरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- यह पहल संसाधनों के कुशल उपयोग और परिणाम-आधारित निगरानी के लिए 36 योजनाओं को एक समन्वित ढांचे के तहत एकीकृत करके कृषि शासन को मजबूती प्रदान करती है।
- यह कार्यक्रम आधुनिक सिंचाई प्रणालियों, यंत्रीकरण, तथा बाजारों और ऋण सुविधाओं तक पहुंच को बढ़ावा देकर किसानों का लचीलापन बढ़ाता है।
- यह योजना उत्पादकता में सुधार, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों की आय में वृद्धि करके खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण समृद्धि के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान देती है।
