संदर्भ:
पोषण अभियान:
इस केन्द्र प्रायोजित योजना का शुभारंभ माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 8 मार्च 2018 ( अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ) को राजस्थान के झुंझुनू जिले में किया गया था ।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) ने पहले वर्ष में 315 जिलों में, दूसरे वर्ष में 235 जिलों में तथा शेष जिलों में तीसरे वर्ष में पोषण अभियान लागू किया।
2021 में, बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण से निपटने के लिए सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 शुरू की गई।
- वित्त मंत्रालय ने अंतरिम बजट वित्त वर्ष 2025 में सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना के लिए लगभग 21,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
पोषण अभियान के तहत हर साल सितंबर (9 वें महीने) के दौरान राष्ट्रीय पोषण माह मनाया जाता है ।
अभियान की प्रमुख उपलब्धियाँ
दिसंबर 2023 के पोषण ट्रैकर के आंकड़ों के अनुसार, 6 वर्ष से कम आयु के लगभग 7.44 करोड़ बच्चों को मापा गया, जिनमें से 36% बच्चे बौने पाए गए, 17% कम वजन वाले पाए गए और 5 वर्ष से कम आयु के 6% बच्चे कमजोर पाए गए।
देश भर में स्थित 13.97 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से लाभार्थियों को वर्ष में 300 दिन पूरक पोषण प्रदान किया जाता है।

NFHS-5 (2019-21) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों के पोषण संकेतकों में NFHS-4 (2015-16) की तुलना में सुधार हुआ है।
- बौनापन 38.4% से घटकर 35.5% हो गया है
- कुपोषण 21.0% से घटकर 19.3% हो गया है
- कम वजन का प्रचलन 35.8% से घटकर 32.1% हो गया है।
7075 पूरी तरह से चालू परियोजनाओं और 13.91 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से , 13.14 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 11.67 लाख आंगनवाड़ी सहायिका लाभार्थियों को सेवाएं प्रदान कर रही हैं ( जून 2022 तक )।
योजना का वित्तपोषण पैटर्न
- विधानमंडल वाले राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के लिए: संघ और राज्य/संघ शासित प्रदेश सरकार के बीच 60:40 का अनुपात।
- पूर्वोत्तर (NER) और हिमालयी राज्यों के लिए: संघ और राज्य सरकार के बीच 90:10 का अनुपात।
- विधायिका रहित संघ शासित प्रदेशों के लिए: 100% केन्द्र सरकार द्वारा।
पोषण अभियान के चार रणनीतिक स्तंभ

- गुणवत्तापूर्ण सेवाओं तक पहुंच: एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) जैसी योजनाओं के माध्यम से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना, विशेष रूप से बच्चे के जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान।
- क्रॉस-सेक्टोरल कन्वर्जेंस: विभिन्न मंत्रालयों के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना।
- प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन जैसे उपकरण वास्तविक समय डेटा संग्रह और हस्तक्षेप को सक्षम करते हैं।
- जन आंदोलन : पोषण के बारे में सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से व्यापक जागरूकता फैलाना।