संदर्भ:
हाल ही मे,19 मार्च को भारतीय राज्य पंजाब में एक महत्वपूर्ण कृषि संघर्ष, मुज़हरा आंदोलन की वर्षगांठ मनाई गई है ।
मुज़हरा के बारे में
- मुजहरा भूमिहीन काश्तकार थे जो पीढ़ियों से जमीन पर खेती करते थे, लेकिन उनके पास इसका मालिकाना हक नहीं था।
- ब्रिटिश शासन के तहत भी कुछ छोटे किसानों को अपनी जमीन छोड़ने और मुज़हरा के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था ।
- स्वतंत्रता से पहले मुजराओं का अन्यायपूर्ण सामंती व्यवस्था के तहत शोषण किया जाता था, जिसमें जमींदार ( बिस्वेदार ) उपज का एक तिहाई हिस्सा लेते थे, तथा एक हिस्सा राजा को देते थे, जो आगे चलकर अंग्रेजों को राजस्व देता था।
- इस व्यवस्था के कारण किसानों का उत्पीड़न बढ़ा और उन्हें अपने श्रम से लाभ उठाने से वंचित होना पड़ा।
- स्वतंत्रता के बाद भी, बिस्वेदारों ने अपनी अन्यायपूर्ण प्रथा जारी रखी, जिसे 1952 के भूमि सुधारों द्वारा रोक दिया गया, जिसमें बटाईदार किसानों को मालिकाना हक प्रदान किया गया।
- जैसे-जैसे आंदोलन मजबूत होता गया, मुजराओं के भीतर कार्यकर्ताओं के समूहों ने काश्तकारों के अधिकारों की रक्षा करना शुरू कर दिया।
19 मार्च का महत्व:
- मार्च 1949 में, बिस्वेदारों ने मुजहराओं द्वारा खेती की गई भूमि को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन किशनगढ़ गांव में उन्हें कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।
- मुजहराओं ने जमींदारों को खदेड़ दिया, गन्ने की कटाई की, गुड़ का उत्पादन किया और इसे अपने उपयोग के लिए संग्रहीत किया, साथ ही पीईपीएसयू प्रशासन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तैयारी भी की।
- 17 मार्च को पटियाला पुलिस ने हस्तक्षेप किया, जिसके कारण गतिरोध पैदा हो गया और एक पुलिस अधिकारी मारा गया। 35 मुजहराओं को गिरफ्तार किया गया और उन पर हत्या का आरोप लगाया गया, लेकिन मुजहरा आंदोलन के नेताओं के प्रयासों से फरवरी 1950 में सभी को बरी कर दिया गया ।
- 19 मार्च को सेना ने गांव को घेर लिया, जिसके परिणामस्वरूप हिंसक झड़प हुई जिसमें चार मुजहरा मारे गए।
- 19 मार्च संघर्ष का प्रतीक बन गया और 1953 से इसे आंदोलन की याद में प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा।
- आंदोलन के प्रमुख नेता : जागीर सिंह जोगा, बूटा सिंह, तेजा सिंह सुतंतर , सेवा सिंह ठीकरीवाला ।
- विरासत और किसान यूनियन नेता : मुज़हरा आंदोलन को प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है, जिसमें जगमोहन सिंह पटियाला जैसे नेताओं ने अन्याय के खिलाफ किसानों के लचीलेपन और उनके अधिकारों के लिए चल रही लड़ाई पर जोर दिया।
यह दिवस कैसे मनाया जाता है?
- इससे पहले, आमतौर पर तीन दिवसीय सम्मेलन मानसा जिले के किशनगढ़ गांव में आयोजित किया जाता था, जिसमें आसपास के क्षेत्रों से किसान आते थे।
- पिछले दो दशकों में यह आयोजन 19 मार्च को आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन तक सीमित हो गया है, जिसका आयोजन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) द्वारा किया जाता है, जिसमें अन्य किसान यूनियनें भी भाग लेती हैं।
- मुजरा आंदोलन के शहीदों को समर्पित प्रतीकात्मक शिलालेख अंकित है ।