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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व,  संघीय ढांचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।

संदर्भ: 

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री ने झारखंड के रांची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की   27वीं बैठक की अध्यक्षता की।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • 27वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई जिनमें बलात्कार के मामलों के लिए FTSC, ग्राम-स्तरीय बैंकिंग पहुँच, ERSS-112 की शुरुआत और पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली तथा शहरी नियोजन जैसी क्षेत्रीय चिंताएं शामिल थीं।
  • केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री के “टीम भारत” के दृष्टिकोण को दोहराया और 2047 तक भारत के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहकारी संघवाद को आधारशिला के रूप में रेखांकित किया।
  • क्षेत्रीय परिषद की बैठकों की संख्या 2004 और 2014 के बीच 25 की तुलना में 2014 और 2025 के बीच बढ़कर 63 हो गई है।
  • इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदें केवल चर्चा मंचों से “सहयोग के इंजन” में बदल गई हैं, और बताया कि उनकी बैठकों में उठाए गए 83% मुद्दों का समाधान हो चुका है।
  • बैठक में मसानजोर बांध, तैयबपुर बैराज, इंद्रपुरी जलाशय और PSU की परिसंपत्ति विभाजन जैसे प्रमुख मुद्दों का समाधान किया गया, जिससे संघर्ष समाधान में परिषद की भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

क्षेत्रीय परिषद्की उद्भव 

  • क्षेत्रीय परिषदों की अवधारणा का प्रस्ताव प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट पर बहस के दौरान रखा था।
  • गृह मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने सहकारी कार्य को बढ़ावा देने के लिए सलाहकार परिषदों के साथ राज्यों को चार या पाँच क्षेत्रों में समूहबद्ध करने की सिफारिश की थी।
  • पंडित नेहरू के दृष्टिकोण के आलोक में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत पाँच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई।

क्षेत्रीय परिषद की संरचना

  • उत्तरी क्षेत्रीय परिषद: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़।
  • मध्य क्षेत्रीय परिषद: छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश।
  • पूर्वी क्षेत्रीय परिषद: बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल।
  • पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद: गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र और केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली।
  • दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी।
  • उत्तर-पूर्वी/पूर्वोत्तर परिषद की स्थापना पूर्वोत्तर परिषद अधिनियम, 1972 के तहत की गई थी और असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मेघालय और नागालैंड इसके सदस्य हैं।
  • प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में एक स्थायी समिति होती है जिसमें सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव शामिल होते हैं। ये स्थायी समितियाँ समय-समय पर मुद्दों के समाधान या क्षेत्रीय परिषदों की आगे की बैठकों के लिए आवश्यक आधारभूत कार्य करने हेतु बैठकें करती हैं।

प्रत्येक परिषद की संरचना इस प्रकार है:

  • केंद्रीय गृह मंत्री इनमें से प्रत्येक परिषद के अध्यक्ष होते हैं।
  • प्रत्येक क्षेत्र में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री उस क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं, प्रत्येक एक वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है।
  • प्रत्येक राज्य से राज्यपाल द्वारा नामित मुख्यमंत्री और दो अन्य मंत्री तथा क्षेत्र में शामिल केंद्र शासित प्रदेशों से दो सदस्य।
  • प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद के लिए योजना आयोग द्वारा नामित एक व्यक्ति, मुख्य सचिव और क्षेत्र में शामिल प्रत्येक राज्य द्वारा नामित एक अन्य अधिकारी।
  • 2018 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री को उत्तर-पूर्वी परिषद्के पदेन अध्यक्ष और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री (DoNER) को परिषद्के उपाध्यक्ष के रूप में नामित करने को मंजूरी दी।

क्षेत्रीय परिषद की भूमिका

  • क्षेत्रीय परिषदें एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती हैं जहाँ केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के बीच मतभेदों को स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा और परामर्श के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।
  • ये परिषदें आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े राज्यों के लिए सहकारी प्रयास के क्षेत्रीय मंच के रूप में कार्य करती हैं।
  • क्षेत्रीय परिषदें आर्थिक और सामाजिक नियोजन, सीमा विवाद, अंतर-राज्यीय परिवहन, भाषाई अल्पसंख्यक और राज्य पुनर्गठन जैसे साझा मुद्दों को संबोधित करती हैं।

स्रोत: PIB

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2143826

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