संदर्भ:

हाल ही में, पुष्प अपशिष्ट भारत में चक्रीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के एक तरीके के रूप में उभरा है।

मुख्य अंश

  • भारत में पुष्प अपशिष्ट क्षेत्र में महत्वपूर्ण  वृद्धि हो रही है, जो इसके अनेक लाभों से प्रेरित है।
  • यह क्षेत्र न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह प्रभावी रूप से कूड़ा-कचरा स्थलों से कचरे को हटाता है तथा पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है।
  • जैसे-जैसे भारत वहनीयता  और चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है, अपशिष्ट को संपत्ति  (आय) में बदलने पर ध्यान देना लगातार महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था क्या है?

  • चक्रीय अर्थव्यवस्था उत्पादन और उपभोग का एक मॉडल है जो यथासंभव लंबे समय तक मौजूदा सामग्रियों और उत्पादों को साझा करने, पट्टे(लीज) पर देने, पुनः उपयोग करने, मरम्मत करने, नवीनीकरण करने और पुनर्चक्रण करने पर बल  देती है।
  • यह दृष्टिकोण उत्पादों के जीवन चक्र को बढ़ाता है और अपशिष्ट को कम करता है, जिससे स्थिरता को बढ़ावा मिलता है।

पुष्प अपशिष्ट का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • पुष्प अपशिष्ट, जो कि अधिकांशतः प्राकृतिक रूप से जैव अपघटनीय  होता है, प्रायः लैंडफिल या जल निकायों में पहुंच जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरा उत्पन्न होता है तथा जलीय जीवन को हानि पहुंचती है।
  • संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी प्रतिवर्ष 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों का कचरा सोख लेती है।

पुष्प अपशिष्ट रोजगार और स्थिरता में कैसे योगदान दे सकता है?

  • स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत, कई भारतीय शहर पुष्प अपशिष्ट की समस्या के समाधान हेतु नवीन समाधानों को लागू कर रहे हैं।
  • मंदिरों में कम्पोस्ट गड्ढों का क्रियान्वयन तथा पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों और स्वयं सहायता समूहों(SHGs) को शामिल करने से महत्वपूर्ण रोजगार अवसर पैदा हो सकते हैं।
  • “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण-अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को उद्यानों जैसे हरित स्थानों में पुष्प अपशिष्ट का पता लगाने और प्रबंधन में शामिल किया जा सकता है।

चक्रीय अर्थव्यवस्था की राह  पर सफलता की कहानियाँ 

उज्जैन का महाकाल मंदिर
  • महाकाल मंदिर में प्रतिदिन 5-6 टन कचरा निकलता है, जिसे ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहनों द्वारा एकत्र किया जाता है और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों में संसाधित किया जाता है।
  • ‘शिव अर्पण’ स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कचरे से वस्तुएं/सामान  बनाती हैं और इसका उपयोग ईंधन की गोलियां (ब्रिकेट), खाद और जैव ईंधन बनाने के लिए भी करती हैं।
  • उज्जैन स्मार्ट सिटी की वर्ष 2022 की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2,200 टन पुष्प अपशिष्ट का उपचार किया गया, जिससे 3 करोड़ से अधिक अगरबत्तियाँ प्राप्त हुईं।
कानपुर
  • कानपुर स्थित फूल (पुष्प अपशिष्ट पुनर्चक्रण कंपनी) अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से प्रतिदिन पुष्प अपशिष्ट एकत्रित  करती है, जो प्रति सप्ताह लगभग 21 मीट्रिक टन होता है।
  • वे इस कचरे को अगरबत्ती, धूप  और अन्य उत्पादों में परिवर्तित कर  देते हैं, जिससे महिलाओं को सुरक्षित नौकरियां और निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं।

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