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सामान्य अध्ययन-3: बुनियादी ढाँचा: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे इत्यादि।

संदर्भ: हाल ही में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना के तहत राज्यों के लिए वित्तीय सहायता राशि जारी की।

अन्य संबंधित जानकारी

  • केंद्र सरकार ने राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIAs) द्वारा प्रस्तुत परियोजना मांग और प्रगति रिपोर्ट के आधार पर 30 नवंबर 2025 तक इस योजना के अंतर्गत राज्यों के लिए  ₹7,106 करोड़ जारी किए।
  • 30 नवंबर 2025 तक, पीएम-कुसुम योजना के सभी घटकों के तहत कुल 10,203 मेगावॉट (MW) क्षमता स्थापित की जा चुकी है।
  • देशभर में 20 लाख से अधिक लाभार्थियों के साथ महाराष्ट्र में 11 लाख से अधिक लाभार्थी हैं और यह शीर्ष स्थान पर हैं। इसके बाद राजस्थान और गुजरात (प्रत्येक में दो लाख से अधिक लाभार्थी) का स्थान है।
  • राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIAs) द्वारा प्रस्तुत परियोजना मांग और योजना के दिशानिर्देशों के प्रावधानों के आधार पर पीएम-कुसुम योजना के तहत निधि जारी की जाती हैं।

पीएम-कुसुम के बारे में 

  • पीएम-कुसुम योजना 2019 में शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य कुल 34,422 करोड़ की केंद्रीय वित्तीय सहायता (जिसमें कार्यान्वयन एजेंसियों का सेवा शुल्क भी शामिल है) के साथ मार्च 2026 तक 34,800 मेगावॉट (MW) की सौर क्षमता प्राप्त करना है।

• योजना के निम्नलिखित तीन घटक हैं:

  • घटक-A: 10,000 मेगावॉट (MW) के विकेंद्रीकृत भूमि/स्टिल्ट पर लगे ग्रिड से जुड़े सौर या अन्य नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली संयंत्रों की स्थापना करना।
  • घटक -B: ग्रिड से स्वतंत्र 14 लाख सौर कृषि पंपों की स्थापना।
  • घटक -C: 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सौर्यीकरण (Solarisation) करना, जिसमें फीडर स्तर पर सौर्यीकरण भी शामिल है।

• जिन किसानों के पास पहले से ही ग्रिड से जुड़े अपने कृषि पंप हैं, वे पंपों के सौर्यीकरण में सहायता कर रहे हैं।

• इस योजना की समय सीमा पहले वर्ष 2022 थी परन्तु इसकी संशोधित समय-सीमा अब मार्च 2026 है। स्वतंत्र सौर पंपों में लगभग 70% स्थापित किए जा चुके हैं, जो योजना की स्थिर प्रगति को दर्शाता है।

योजना के मुख्य उद्देश्य 

• कृषि क्षेत्र में डीजल के उपयोग को समाप्त करना या कम करना, किसानों को जल और ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना, किसानों की आय में वृद्धि करना और पर्यावरणीय प्रदूषण पर अंकुश लगाना।

• भूजल स्तर में व्यवधान से बचने के लिए, विशेष रूप से भूजल के स्तर में कमी वाले जिलों में केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा अधिसूचित डार्क ज़ोन में योजना के तहत नए सौर पंपों की स्थापना की अनुमति नहीं है।

  • केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) भूजल विकास और निष्कर्षण की निगरानी एवं विनियमन करता है।
  • इन डार्क ज़ोन/क्षेत्रों में, योजना के घटक B के तहत केवल मौजूदा डीजल पंपों को ही सौर पंपों से बदला जा सकता है।
  • इन डार्क ज़ोन में, योजना के घटक C के तहत मौजूदा बिजली के पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा (सौर्यीकरण) जा सकता है।
  • प्रतिस्थापन या सौर्यीकरण की अनुमति तभी होगी जब जल संरक्षण के लिए सूक्ष्म सिंचाई (Micro-Irrigation) तकनीकों का उपयोग किया जाता हो।

Source: 
Energy.Economic Times.India Times
PIB
Pmkusum.mnre
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