संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारी उद्योग मंत्रालय की ‘पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट’ (PM E-DRIVE) योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- विद्युत गतिशीलता में तेजी लाने के लिए तैयार की गई इस योजना के लिए अगले दो वर्षों में 10,900 करोड़ रुपये का बजट आबंटन किया गया है, जिससे पूरे भारत में हरित परिवहन समाधान को बढ़ावा मिलेगा।
- पीएम ई-ड्राइव फेम कार्यक्रम (FAME programme) का स्थान लेगा जो मार्च तक नौ वर्षों से चल रहा था।
- उम्मीदों के विपरीत इस योजना में इलेक्ट्रिक कारों और हाइब्रिड कारों के लिए कोई सब्सिडी नहीं है।
- पीएम ई-ड्राइव योजना में इलेक्ट्रिक दोपहिया (e-2Ws), तिपहिया (e-3Ws), ई-एम्बुलेंस, ई-ट्रक और उभरते इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए 3,679 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
- इस योजना से 24.79 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक दोपहिया, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक तिपहिया और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे स्वच्छ एवं अधिक सतत भविष्य की दिशा में बदलाव होगा।
फेम कार्यक्रम
- फेम कार्यक्रम (FAME Programme) का मतलब है भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और उनका निर्माण करना।
- यह सरकार द्वारा समर्थित पहल है जिसका उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को अपनाने और उनके निर्माण को बढ़ावा देना है।
- यह योजना जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और स्वच्छ, अधिक सतत परिवहन को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के खरीदारों और निर्माताओं को प्रोत्साहन और अनुदान प्रदान करती है।
- इस योजना में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक तकनीकें, जैसे- माइल्ड हाइब्रिड, स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड, प्लग-इन हाइब्रिड और बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
पीएम ई-ड्राइव योजना की मुख्य विशेषताएं
ई-वाउचर:
- इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए आधार-प्रमाणित ई-वाउचर की शुरूआत।
- खरीदारों को योजना के पोर्टल के माध्यम से ई-वाउचर प्राप्त होंगे, जिससे वे आसानी से मांग प्रोत्साहन का दावा कर सकेंगे।
ई-एम्बुलेंस:
- इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस की खरीद हेतु 500 करोड़ रुपये का आवंटन।
- इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना तथा हरित विकल्पों के साथ रोगी परिवहन को बेहतर बनाना है।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से , सुरक्षा और प्रदर्शन मानक स्थापित करेगा।
ई-ट्रक और वाहन स्क्रैपिंग:
- भारी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक ट्रकों को प्रोत्साहित करने हेतु 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की वाहन स्क्रैप योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार पुराने ट्रकों को स्क्रैप करने (scrapping) के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
सार्वजनिक परिवहन एवं ई-बसें:
- दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे नौ प्रमुख शहरों में 14,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 4,391 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- पुरानी, प्रदूषणकारी बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन से पर्यावरण-अनुकूल सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा।
- मांग एकत्रीकरण का प्रबंधन कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) द्वारा किया जाएगा, जिसमें पुरानी बसों को हटाने वाले राज्यों और शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
चार्जिंग अवसंरचना:
- उच्च पहुंच वाले शहरों और प्रमुख राजमार्गों पर विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 70,000 से अधिक फास्ट चार्जर स्थापित करने हेतु 2,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
- चार पहिया वाहनों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर, ई-बसों हेतु 1,800 तथा दो व तीन पहिया वाहनों के लिए 48,400 फास्ट चार्जर।
- दूरी संबंधी चिंता को दूर करने और एक मजबूत चार्जिंग प्रणाली तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उन्नत परीक्षण अवसंरचना:
- नई एवं उभरती हुई इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकियों के मूल्यांकन के लिए वाहन परीक्षण सुविधाओं के आधुनिकीकरण हेतु 780 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- यह सुनिश्चित करता है कि भारत का इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र प्रतिस्पर्धी बना रहे तथा हरित गतिशीलता में अनुसंधान और विकास को सहायता मिले।
महत्व
- इस योजना से सतत परिवहन को बढ़ावा देकर वायु गुणवत्ता में सुधार और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आने की उम्मीद है।
- चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण को प्रोत्साहित करना तथा आत्मनिर्भर भारत पहल का समर्थन करना।
- यह योजना इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति श्रृंखला और चार्जिंग अवसंरचना में रोजगार के अवसर पैदा करेगी, जिससे भारत के लिए अधिक स्वच्छ एवं सतत भविष्य में योगदान मिलेगा।