संदर्भ:

2 अगस्त, 2024 को पिंगली वेंकैया की 148वीं जयंती मनायी गई।

पिंगली वेंकैया: 

  • भारतीय तिरंगे के जनक: पिंगली वेंकैया को भारत के राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) के मूल स्वरूप को डिजाइन करने का श्रेय दिया जाता है।
  • प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा: पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पास एक गाँव में हुआ था तथा वे 19 वर्ष की उम्र में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हो गए और दक्षिण अफ्रीका में बोअर युद्ध (1899-1902) में हिस्सा लिया। दादाभाई नौरोजी के नेतृत्व में वर्ष 1906 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) के सत्र में भाग लेने से प्रेरित होकर, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए एक झंडा डिजाइन करने की जरूरत महसूस की, क्योंकि उन्होंने कांग्रेस की बैठकों में ब्रिटिश ध्वज के इस्तेमाल का विरोध किया था। 
  • भारत को समर्पित जीवन: वेंकैया का योगदान ध्वज के मूल स्वरूप के डिजाइन करने से कहीं अधिक था। वे एक शिक्षक, लेखक, कृषक और भाषाविद् थे। उन्होंने वर्ष 1916 में ‘भारत देशनीकी ओका जातीय पताकम’ (भारत का राष्ट्रीय ध्वज) नामक पुस्तक भी प्रकाशित की थी। 
  • वर्ष 1921 से वेंकैया का झंडा अनौपचारिक रूप से कांग्रेस की सभी बैठकों में इस्तेमाल किया जाता रहा। झंडे को उसके मौजूदा स्वरूप में 22 जुलाई, 1947 को संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो भारत की आज़ादी से ठीक बीस दिन पहले की बात है।
  • प्रारंभिक ध्वज (जिसे स्वराज ध्वज कहा जाता था) में दो लाल और हरे रंग की पट्टियाँ थीं, ये दोनों पट्टियाँ दो प्रमुख धार्मिक समुदायों (हिंदू और मुस्लिम) का प्रतिनिधित्व करती थीं।
  • गांधीजी ने समुदायों के बीच शांति और सद्भाव का प्रतीक एक सफेद रंग की पट्टी और देश की प्रगति का प्रतीक एक चलता हुआ चरखा जोड़ने का सुझाव दिया।
  • वेंकैया की मृत्यु वर्ष 1963 में निर्धनता और गरीबी में हुई थी।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास

  • वर्ष 1906 में स्वदेशी और बहिष्कार संघर्ष के दौरान कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के पारसी बागान चौक पर पहली बार भारत का झंडा फहराया गया था।
  • वर्ष 1907 में, थोड़े संशोधनों के साथ ऐसा ही ध्वज मैडम भीकाजी कामा द्वारा पेरिस में फहराया गया था।
  • वर्ष 1917 में होमरूल आंदोलन के एक भाग के रूप में एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने एक अन्य ध्वज फहराया।
  • वर्ष 1921 में, कांग्रेस के बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) अधिवेशन में, एक युवा स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को एक झंडे का डिज़ाइन प्रस्तुत किया।
  • वर्ष 1931 में, एक औपचारिक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें पिंगली वेंकैया के झंडे को थोड़े संशोधन के साथ अपनाया गया। सफ़ेद और हरा रंग तो बरकरार रहा, लेकिन लाल रंग की जगह केसरिया रंग ने ले ली। केसरिया रंग साहस का, सफ़ेद रंग शांति का और हरा रंग उर्वरता और विकास का प्रतीक माना गया।
  • अंततः जुलाई 1947 में संविधान सभा ने औपचारिक रूप से स्वतंत्र भारत के ध्वज को अपनाया।

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