संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने के लिए पारस्परिक ऋण गारंटी योजना को मंजूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी:
यह योजना राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा सदस्य ऋण संस्थानों (MLIs) को उपकरण या मशीनरी की खरीद के लिए पात्र MSME को 100 करोड़ रुपये तक की ऋण सुविधाओं के लिए 60% गारंटी कवरेज प्रदान करती है।
- MLIs वे सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCBs), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (AIFIs) हैं, जो योजना के तहत NCGTC के साथ पंजीकृत हैं ।
यह योजना परिचालन दिशानिर्देश जारी होने की तारीख से 4 वर्ष की अवधि के दौरान या 7 लाख करोड़ रुपये की संचयी गारंटी जारी होने तक, जो भी पहले हो, MCGS-MSME के तहत स्वीकृत सभी ऋणों पर लागू होगी।
इससे विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को समर्थन मिलेगा।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- ऋण प्राप्तकर्ता को वैध उद्यम पंजीकरण संख्या वाला MSME होना चाहिए।
- गारंटीकृत ऋण राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- यद्यपि परियोजना लागत अधिक हो सकती है, लेकिन परियोजना लागत का न्यूनतम 75% उपकरण या मशीनरी पर आवंटित किया जाना चाहिए।
- योजना के तहत 50 करोड़ रुपये तक के ऋण की पुनर्भुगतान अवधि 8 वर्ष तक होगी, जिसमें मूल किस्तों पर 2 वर्ष तक की स्थगन अवधि होगी। 50 करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों के लिए, उच्च पुनर्भुगतान अनुसूची और मूल किस्तों पर स्थगन अवधि पर विचार किया जा सकता है।
- गारंटी कवर के आवेदन के समय ऋण राशि का 5% अग्रिम (प्रारंभिक) अंशदान जमा किया जाएगा।
- योजना के तहत ऋण पर वार्षिक गारंटी शुल्क स्वीकृति के वर्ष के दौरान शून्य होगा। अगले 3 वर्षों के लिए, यह पिछले वर्ष के 31 मार्च तक बकाया ऋण का 1.5% प्रति वर्ष होगा। उसके बाद, वार्षिक गारंटी शुल्क पिछले वर्षों के 31 मार्च तक बकाया ऋण का 1% प्रति वर्ष होगा।
MSME के बारें में
- MSME को भारतीय अर्थव्यवस्था का पावरहाउस कहा जाता है। वे रोजगार सृजन, निर्यात और समग्र आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- यह 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता हैं और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30.0% का योगदान करते हैं ।
- MSME कुल विनिर्माण उत्पादन में 38.4% का योगदान देते हैं तथा देश के कुल निर्यात में 45.03% का योगदान देते हैं ।
- MSME मंत्रालय की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार , MSME विनिर्माण के उच्चतम सघनता वाले शीर्ष पांच राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात हैं ।
MSME विनिर्माण क्षेत्र के लिए प्रमुख सरकारी पहल
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी निधि योजना (CGMSE) : इसका उद्देश्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र को संपार्श्विक-मुक्त ऋण उपलब्ध कराना है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय MSMED अधिनियम, 2006 के अंतर्गत सूक्ष्म और लघु उद्यम आदेश, 2012 के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को क्रियान्वित करता है । यह नीति केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 25% वार्षिक खरीद अनिवार्य करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना: इसका उद्देश्य MSME को अपने उत्पादों के निर्यात के लिए प्रोत्साहित करना है और विदेशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में MSME की भागीदारी को सुविधाजनक बनाना तथा भारत में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं का आयोजन करना है।
- MSME निष्पादन को बढ़ाना और तेज करना (RAMP) कार्यक्रम : यह विश्व बैंक द्वारा समर्थित योजना है, जिसे 2022 में 2022-23 से 2026-27 तक की पांच वर्ष की अवधि के लिए शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य MSME की बाजार, वित्त और प्रौद्योगिकी उन्नयन तक पहुंच में सुधार करना है।