संदर्भ:

हाल ही में, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस विधेयक (जो अब राष्ट्रपति की स्वीकृति की प्रतीक्षा में है) का उद्देश्य पश्चिम बंगाल में बलात्कार और बाल शोषण के लिए कठोर दंड लागू करने हेतु भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन करना है।
  • विधेयक में बलात्कार के लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड निर्धारित किया गया है तथा बलात्कार के मामलों की जांच और सुनवाई के लिए विशेष कार्य बल और विशेष अदालतें गठित करने की व्यवस्था की गई हैं।
  • यदि भारत के राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति दे देते हैं तो ये परिवर्तन मौजूदा कानूनों में शामिल कर लिए जाएंगे।
  • आपराधिक कानून समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिसका अर्थ है कि राज्य के कानूनों को केंद्रीय कानूनों पर वरीयता दी जाती है तथा यह राष्ट्रपति की मंजूरी पर निर्भर करता है।
  • आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र ने भी पहले इसी तरह के कानून पारित किए हैं, जिसमें उस समय लागू आपराधिक कानूनों में संशोधन करके बलात्कार के लिए मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है। इनमें से किसी भी विधेयक को अभी तक राष्ट्रपति की अनिवार्य स्वीकृति नहीं मिली है।

अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक, 2024 के प्रमुख प्रावधान

विधेयक मौजूदा कानूनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव पेश करता है:

  • बलात्कार के लिए मृत्युदंड: बलात्कार के दोषी व्यक्तियों के लिए मृत्युदंड का प्रस्ताव है, यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत (जड़ता) अवस्था में रहती है।
  • समयबद्ध जांच और सुनवाई: बलात्कार के मामलों की जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए। यह पूर्व की दो महीने की समयसीमा से काफी कम है। समयसीमा में विस्तार केवल वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के लिखित औचित्य के साथ ही दिया जाता है।
  • फास्ट-ट्रैक कोर्ट: यौन हिंसा के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए विशेष अदालतें गठित की जाएंगी।
  • अपराजिता टास्क फोर्स: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार और अन्य गंभीर अपराधों की जांच के लिए जिला स्तर पर पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
  • आदतन (बार-बार) अपराध करने वालों के लिए कठोर दंड: बार-बार अपराध करने वालों को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है तथा परिस्थितियों के आधार पर उसे मृत्युदंड की भी संभावना है।
  • पीड़ितों की पहचान की सुरक्षा: विधेयक में कानूनी प्रक्रिया के दौरान पीड़ितों की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा के उपाय शामिल हैं।
  • न्याय में देरी के लिए दंड: कार्रवाई में देरी करने वाले या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने वाले पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों को जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए दंड का सामना करना पड़ेगा।
  • प्रकाशन प्रतिबंध: यौन अपराधों से संबंधित अदालती कार्यवाही का अनधिकृत प्रकाशन निषिद्ध है, जिसके लिए 3 से 5 वर्ष तक कारावास का दंड दिया जा सकता है।

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