संदर्भ:

हाल ही में, एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में लगभग 8.7 मिलियन भारतीय पश्चिम एशिया में रहते हैं।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह रिपोर्ट कुवैत के मंगाफ में एक आवासीय इमारत में लगी भीषण आग के बाद जारी की गई है, जिसमें 50 प्रवासी मज़दूर की मृत्यु हो गई थी। इनमें से कम से कम 46 भारतीय थे। 
  • इस रिपोर्ट में निर्दिष्ट आँकड़े छह खाड़ी देशों बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के लिए हैं। ये भारतीय “ज़्यादातर ब्लू-कॉलर नौकरियों में कार्यरत हैं।”

विभिन्न प्रकार के “कॉलर” वाली नौकरियाँ

नौकरियों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न कॉलर, निर्दिष्ट होने वाले कार्य के प्रकार और कार्य के परिवेश के आधार पर वर्गीकरण प्रणाली को संदर्भित करते हैं, जो है :

  • व्हाइट-कॉलर जॉब्स: सामान्यतः, इसमें कार्यालय का काम, बौद्धिक कार्य और पेशेवर कौशल वाले कार्य शामिल होते हैं। उदाहरणों: इसमें डॉक्टर, वकील, एकाउंटेंट, शिक्षक, इंजीनियर और प्रबंधक शामिल हैं।
  • ब्लू-कॉलर जॉब्स: सामान्यतः, इसमें शारीरिक `(मैनुअल) श्रम, कौशल व्यापार (स्किल ट्रेड) और शारीरिक कार्य परिस्थितियाँ शामिल होते हैं। उदाहरणों: इसमें निर्माण श्रमिक, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, मैकेनिक, फैक्ट्री कर्मचारी और वेल्डर के कार्य शामिल हैं।
  • पिंक-कॉलर जॉब्स: परंपरागत रूप से सेवा उद्योग में महिला-प्रधान व्यवसायों से जुड़ा हुआ है, जिसे अक्सर कम वेतन वाला माना जाता है। उदाहरणों में नर्स, सेक्रेटरी, रिसेप्शनिस्ट, कैशियर और वेट्रेस शामिल हैं। (लिंग पूर्वाग्रह के कारण आजकल इस शब्द का इस्तेमाल कम ही होता है।)
  • ग्रीन-कॉलर जॉब्स: इसमें शामिल नौकरियाँ पर्यावरण संरक्षण, स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते है। उदाहरणों : इसमें सौर पैनल इंस्टॉलर, पवन टरबाइन तकनीशियन, पर्यावरण वैज्ञानिक, संरक्षणवादी और पार्क रेंजर शामिल हैं।
  • गोल्ड-कॉलर जॉब्स: ये उच्च माँग वाले अत्यधिक कुशल और विशिष्ट व्यवसायों को संदर्भित करते हैं, जिनमें अक्सर अत्यधिक वेतन मिलता है। उदाहरण : इसमें सर्जन, एयरोस्पेस इंजीनियर, डेटा वैज्ञानिक, निवेश बैंकर और शीर्ष अधिकारी के कार्य शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • संयुक्त अरब अमीरात (UAE) लगभग 3.4 मिलियन श्रमिकों के साथ भारतीय प्रवासी श्रमिकों का सबसे बड़ा प्रवास केंद्र है, इसके बाद सऊदी अरब में 2.6 मिलियन, कुवैत में 1 मिलियन, कतर में 750,000 और ओमान में 700,000 श्रमिक रहते हैं।
  • इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस रिपोर्ट में प्रवासी कार्यबल की आयु जनसांख्यिकी का भी विवरण दिया गया है। 18 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के युवा वयस्क, इन देशों में जाने वाले कार्यबल का लगभग 50 से 60 प्रतिशत हैं।  
  • इसके बाद 31 से 45 वर्ष की आयु वाले मध्यम आयु वर्ग के श्रमिकों का स्थान है, जो प्रवासी कार्यबल का 30 से 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्हें आमतौर पर अनुभव की आवश्यकता वाले कुशल कार्यों के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
  • सभी उद्योगों में से, निर्माण उद्योग पश्चिम एशिया में भारतीय ब्लू-कॉलर श्रमिकों का प्रमुख नियोक्ता है।

यह माँग संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब के नियोम (NEOM) और लाल सागर परियोजना(Red Sea Project), में चल रही अवसंरचना परियोजनाओं और बड़े विकास कार्यों से प्रेरित है।

  • नियोम (NEOM) सभी गतिविधियों का केंद्र है। निवासियों के लिए प्राथमिक घर, सभी गतिविधियों के साथ एक ऊर्ध्वाधर शहर के रूप में नियोम (NEOM) प्राचीन ग्रीक उपसर्ग नियो (NEO) से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘नया’ होता है। इसमें ‘M’ ‘मुस्तकबिल ‘ (Mustaqbal) का पहला वर्ण है, जो एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ ‘भविष्य’ होता है।
  • लाल सागर परियोजना सऊदी अरब के लाल सागर तट पर एक नियोजित पर्यटन मेगा परियोजना है।

आँकड़ों से परे :  

  • पश्चिम एशिया में भारतीय प्रवासी श्रमिकों के व्यापक परिप्रेक्ष्य को पहचानना महत्वपूर्ण है, भले ही इस रिपोर्ट में उपयोगी आंकड़े दिए गए हों।
  • इसमें कठोर कार्य परिस्थितियाँ, सीमित अधिकार और परिवारों से अलगाव जैसे अन्तर्निहित मुद्दे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उनका योगदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके द्वारा भेजी गई धनराशि ( प्रेषित धन) उनके परिवारों को घर पर महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करती है और उनका श्रम मेजबान देशों में आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
  • उनके योगदान को मान्यता देना तथा उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना बेहद महत्वपूर्ण है।

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