संदर्भ:
आईसीसी अभियोजक ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, इजरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और हमास के तीन नेताओं के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है।
अन्य संबंधित जानकारी:
हमास के विरुद्ध आरोप:
- मानवता के विरुद्ध अपराध: विनाश, हत्या, बलात्कार, यौन हिंसा, यातना (अक्तूबर, 2023, हमले और फिलिस्तीन में युद्ध से संबंधित) देना।
- युद्ध अपराध: बंधक बनाना, यातना देना, बंधकों के साथ क्रूर व्यवहार करना।
इज़रायली नेताओं के विरुद्ध आरोप:
- मानवता के विरुद्ध अपराध: नरसंहार, हत्या, उत्पीड़न, अमानवीय कृत्य।
- युद्ध अपराध: भुखमरी, जानबूझकर हत्या, नागरिकों पर हमले, आवश्यक आपूर्ति को अवरुद्ध करना।
विधिक और राजनीतिक निहितार्थ
- क्षेत्राधिकार : फिलिस्तीन वर्ष 2015 से रोम संविधि (Rome Statute) का सदस्य रहा है, जो आईसीसी को गाजा और पश्चिमी तट सहित उसके क्षेत्र में किए गए अपराधों पर क्षेत्राधिकार देता है।
- बाध्यकारी प्रकृति : आईसीसी का निर्णय पक्षकार देशों पर बाध्यकारी होते हैं, तथा जिन्हें गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण में सहयोग करना चाहिए।
- चुनौतियाँ:
- इजराइल की गैर-सदस्यता: हालाँकि इजराइल रोम संविधि का पक्षकार नहीं है, फिर भी आईसीसीके किसी देश (फिलिस्तीन) के भूभाग पर पक्षकार देशों और गैर-पक्षकार देशों (जैसे इजराइल) दोनों के नागरिकों द्वारा किए गए अपराधों पर मुकदमा चला सकता है।
- प्रवर्तन: आईसीसी गिरफ्तारियों और अपने निर्णयों के प्रवर्तन के लिए देश के सहयोग पर निर्भर है।
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC)
- आईसीसी रोम संविधि के तहत काम करती है, जो एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
- रोम संविधि: यह आईसीसी की स्थापना करने वाली संधि है, जो न्यायालय के कार्यों, अधिकार क्षेत्र और संरचना को रेखांकित करती है। इसे 17 जुलाई, 1998 को अपनाया गया और 1 जुलाई, 2002 से लागू है।
- संशोधन: रोम संविधि में आक्रामकता के अपराध की परिभाषा और अन्य प्रक्रियागत अद्यतन शामिल करने के लिए संशोधन किया गया है।
- मुख्यालय: द हेग, नीदरलैंड।
- सदस्यता: वर्ष 2024 तक 124 देश रोम संविधि के पक्षकार और 137 हस्ताक्षरकर्ता हैं।
- ध्यान देने योग्य बात: गैर-सदस्यों में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, भारत और इज़राइल शामिल हैं।
उद्देश्य और कार्य
- अधिदेश: अंतरराष्ट्रीय चिंता के सबसे गंभीर अपराधों के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाना:
- नरसंहार
- मानवता के विरुद्ध अपराध
- यूद्ध के अपराध
- क्रामकता के अपराध
- प्रकृति: यह अंतिम उपाय वाला न्यायालय है, जो तब हस्तक्षेप करता है, जब राष्ट्रीय न्यायक्षेत्र अभियोजन चलाने में असमर्थ या अनिच्छुक हो।
प्रमुख सिद्धांत
- पूरकता: आईसीसी केवल तभी कार्य करता है, जब राष्ट्रीय न्यायालय अपराधों पर प्रभावी ढंग से मुकदमा नहीं चलाता हैं। यह राष्ट्रीय न्यायिक प्रणालियों की जगह नहीं लेता परंतु उनका पूरक है।
- क्षेत्राधिकार :
- किसी सदस्य राज्य के भू-क्षेत्र में किये गये अपराध।
- सदस्य देशों के नागरिकों द्वारा किए गए अपराध, भले ही वह अपराध किसी गैर-सदस्य देश में हुआ हो।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा संदर्भित अपराध।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)
- स्थापना : 1945
- मुख्यालय : द हेग, नीदरलैंड
- प्राधिकार: संयुक्त राष्ट्र चार्टर की पुष्टि करने वाले देश आईसीजे क़ानून के पक्ष बन जाते हैं। गैर-संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश भी आईसीजे क़ानून की पुष्टि करके आईसीजे के पक्ष बन सकते हैं।
- उद्देश्य : राज्यों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाना और अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रश्नों पर सलाहकार राय प्रदान करना।
- सहमति: राज्यों को या तो संधियों, विशेष समझौतों, या अनिवार्य क्षेत्राधिकार को स्वीकार करने वाली घोषणाओं के माध्यम से न्यायालय के क्षेत्राधिकार पर सहमति देनी होगी।
- आईसीजे की स्थापना एक अंतिम उपाय के रूप में की गई थी, ताकि उन मामलों में सबसे जघन्य अपराधों पर मुकदमा चलाया जा सके, जिसमें राष्ट्रीय अदालतें कार्रवाई करने में विफल रहती हैं। यह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के विपरीत देशों के बीच विवादों की सुनवाई करता है तथा आईसीसी व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाता है।