संदर्भ:

उन्नत विषाणु विज्ञान संस्थान (Institute of Advanced Virology-IAV) ने निपाह के विरुद्ध प्रतिरक्षी (एंटीबॉडी) विकसित करने में मदद हेतु विषाणु जैसे कण (VLPs) का निर्माण करने वाली एक नई विधि विकसित कर ली है।

विषाणु जैसे कण (VLP) विकसित करने में अपनाई गई पद्धति:

  • उन्नत विषाणु विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में गैर-संक्रामक निपाह वीएलपी विकसित करने का एक विधि को विकसित किया है, जो प्रकृतिकृत निपाह विषाणु (NiV) की प्रतिकृति करता है।
  • इस विधि को विकसित करके, उन्नत विषाणु विज्ञान संस्थान (IAV) की टीम निपाह विषाणु (NiV) और इससे संबंधित संक्रमणों के रोकथाम हेतु मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और एंटीवायरल विकसित करने के अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो गई है।
  • नवीनतम अध्ययन में, उन्नत विषाणु विज्ञान संस्थान (IAV) के वैज्ञानिकों ने प्लास्मिड-आधारित व्यंजक प्रणालियों का उपयोग करके NiV संरचनात्मक प्रोटीन G, F और M को एनकोड करने वाले “HiBiT-टैग” निपाह विषाणु जैसे कण (NiV -VLPs) को विकसित किया गया।
    NiV का जीनोम छह प्रमुख प्रोटीनों को एनकोड करता है, जिसमें शामिल है: ग्लाइकोप्रोटीन (G), फ्यूजन प्रोटीन (F), मैट्रिक्स (M), न्यूक्लियोकैप्सिड (N), लॉन्ग पॉलीमरेज़ (L) और फॉस्फोप्रोटीन (P)।
  • इस प्रकार उत्पादित विषाणु जैसे कण (VLP) मूल विषाणु के रूपात्मक और कार्यात्मक रूप से समान थे।

विषाणु जैसे कण (VLP) के बारे में:

  • विषाणु जैसे कण (VLP) ऐसे अणु होते हैं, जो काफी हद तक तक विषाणु के अनुरूप होते हैं और उनकी प्रतिकृति (नकल) करते हैं, लेकिन वे गैर-संक्रामक होते हैं, क्योंकि उनमें कोई विषाणु आनुवंशिक सामग्री नहीं होती है।
  • विषाणु जैसे कण (VLP) को दीर्घकालिक विषाणु के विषाणु बंधन और प्रवेश गतिकी के अध्ययन के लिए प्रभावी मात्रात्मक प्लेटफॉर्म के रूप में पहचान जाता है।
  • नैनोबिट (NanoBiT) और HiBiT(हाईबिट) तकनीक (हाईबिट एक 11 एमिनो एसिड पेप्टाइड है) के आने के साथ ही, वैज्ञानिकों ने HiBiT(हाईबिट) के साथ टैग किए गए निपाह वीएलपी को विकसित किया।
    ये वीएलपी वास्तविक विषाणु के समान ही दिखते और कार्य करते हैं।
  • इन वीएलपी पर HiBiT टैग लगाने से एंटीवायरल दवाओं के परीक्षण और टीके बनाने हेतु उनकी उपयोगिता बढ़ जाती है।

विषाणु जैसे कण (VLP) किस प्रकार अनुसंधान को और गति प्रदान करेगा:

  • निपाह विषाणु एक खतरनाक संक्रमण है, जिसकी मृत्यु दर बहुत अधिक है। इस वजह से सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण इस पर सीमित स्तर पर शोध हो रहा है।
  • नई विधि, जैव सुरक्षा स्तर (BSL)-2  प्रयोगशाला में NiV के विरुद्ध निष्क्रियकारी एंटीबॉडी विकसित करने की बेहतर विधि प्रदान करती है।
  • परंपरागत रूप से, निपाह विषाणु को निष्क्रिय करने वाले एंटीबॉडी (टीके) विकसित करने के लिए उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं (BSL-4) की आवश्यकता होती है, लेकिन अब निपाह विषाणु जैसे कणों (NiV-VLPs) का उपयोग करके, ये परीक्षण कम सुरक्षित प्रयोगशालाओं (BSL-2) में भी सुरक्षित रूप से किए जा सकते हैं।

निपाह वायरस के बारे में:

  • प्राणि संक्रामी विषाणु (जूनोटिक वायरस) निपाह एक अत्यधिक रोगजनक पैरामाइक्सोवायरस (paramyxovirus) है, जिससे प्रभावित मनुष्यों में मृत्यु दर 80 प्रतिशत तक है।
  • यह जानवरों से मनुष्यों, मुख्यतः फल चमगादड़ों (fruit bats) के माध्यम से, में फैलता है।
  • यह पहली बार वर्ष 1998 में निपाह (मलेशिया) में पाया गया था।
  • इस वायरस हेतु मनुष्यों या जानवरों के लिए अभी तक कोई टीका विकसित नहीं की गई है।
  • निपाह के लक्षण इन्फ्लूएंजा के समान हैं, जैसे: बुखार लगना, मांसपेशियों में दर्द होना और श्वसन संबंधी समस्याएँ।
  • इसका उपचार सहायक देखभाल, जैसे लक्षणों के लिए रिबाविरिन, पर केंद्रित है।
  • इसके रोगियों को इसे दूसरों में फैलने से रोकने के लिए अस्पताल में भर्ती होने और संगरोध में रहना पड़ता है। 

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