संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
संदर्भ: नवीनतम नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, भारत में वृद्ध आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है। वर्तमान में लगभग हर 10 भारतीयों में से 1 की आयु 60 वर्ष से अधिक हो चुकी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं, पेंशन योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
• वृद्ध होती आबादी: भारत में प्रजनन दर में गिरावट और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के कारण जनसंख्या वृद्ध होती जा रही है।
- वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 9.7% है, जो 2011 में 8.6% से अधिक है; 6.4% की आयु 65 वर्ष और उससे अधिक है।
- केरल इस सूची में शीर्ष स्थान पर है, जहाँ लगभग 15% आबादी 60 वर्ष और उससे अधिक आयु की है।
- बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड में सबसे कम वृद्ध आबादी (लगभग 7-8%) है।
• कुल प्रजनन दर (TFR): भारत की कुल प्रजनन दर 2021 और 2022 में 2.0 पर रहने के बाद घटकर 1.9 हो गई है।
- 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल प्रजनन दर 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे थी।
• अशोधित जन्म दर (CBR): भारत की अशोधित जन्म दर 2022 में 19.1 से घटकर 2023 में 18.4 हो गई।
- 2023 में, बिहार में जन्म दर सबसे अधिक 25.8 थी, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में जन्म दर सबसे कम 10.1 थी।
• जन्म के समय लिंगानुपात: भारत में जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) 917 था।
- छत्तीसगढ़ (974) और केरल (971) में जन्म के समय लिंगानुपात सबसे अधिक था, जबकि उत्तराखंड में सबसे कम 868 था।
• अशोधित मृत्यु दर (CDR): भारत की मृत्यु दर 1971 में 14.9 से घटकर 2023 में 6.4 हो गई।
- 2023 में, छत्तीसगढ़ में मृत्यु दर सबसे अधिक (8.3) थी, जबकि चंडीगढ़ में सबसे कम (4.0) थी।
• शिशु मृत्यु दर (IMR): 2023 में शिशु मृत्यु दर 25 थी, जो 1971 में रही 129 के पांचवें हिस्से से भी कम है।
- 2023 में, शिशु मृत्यु दर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक (37) और मणिपुर में सबसे कम (3) थी।
• 2023 के लिए सकल प्रजनन दर (GRR) 0.9 अनुमानित थी, जिसका अर्थ है कि भारत में औसतन प्रत्येक महिला की एक पुत्री होगी जो प्रजनन आयु तक जीवित रहेगी और उसके अपने बच्चे होंगे।
- ग्रामीण सकल प्रजनन दर (1.0), शहरी सकल प्रजनन दर (0.7) से थोड़ा अधिक थी, जो दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की पुत्रियों की संख्या शहरी क्षेत्रों की महिलाओं की पुत्रियों की तुलना में अधिक है।
भारत में तेजी से वृद्ध होती जनसंख्या के कारण:
• क्षमता में गिरावट: भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे गिर गई है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक वर्ष कम बच्चे जन्म ले रहे हैं।
- ग्रामीण भारत के लिए कुल प्रजनन दर पहली बार 2.1 की प्रतिस्थापन दर तक पहुंच गई।
• जीवन प्रत्याशा में वृद्धि: औसतन, भारतीय अब लगभग 68.5 वर्ष (पुरुष) और 72.5 वर्ष (महिलाएं) जीते हैं, जबकि केरल और दिल्ली जैसे राज्यों में जीवन प्रत्याशा क्रमशः 78 और 74 वर्ष को पार कर गई है।
• कुल मिलाकर, इन प्रवृत्तियों का अर्थ यह है कि अधिक लोग दीर्घायु हो रहे हैं, जबकि आबादी में शामिल होने वाले बच्चों की संख्या कम हैं।
महत्वपूर्ण शब्द
• कुल प्रजनन दर (TFR): कुल प्रजनन दर, प्रति महिला उसकी संपूर्ण प्रजनन अवधि के दौरान जन्मे बच्चों की औसत संख्या को दर्शाती है।
• प्रतिस्थापन स्तर कुल प्रजनन दर (Replacement Level Total Fertility Rate): यह औसत बच्चों की संख्या को दर्शाती है, जिन्हें प्रत्येक महिला को एक पीढ़ी के बाद नई पीढ़ी को बनाए रखने के लिए जन्म देना आवश्यक होता है।
• अशोधित जन्म दर (CBR): यह किसी दिए गए क्षेत्र और वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या पर जीवित जन्मों की संख्या को दर्शाती है।
• जन्म के समय लिंगानुपात: भारत में, जन्म के समय लिंगानुपात को प्रति 1,000 पुरुष जन्मों पर महिला जन्मों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
• अशोधित मृत्यु दर (CDR): इसे किसी निश्चित क्षेत्र और समयावधि में प्रति हजार जनसंख्या पर होने वाली मौतों की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
• शिशु मृत्यु दर (IMR): इसे प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर एक वर्ष से कम आयु के शिशुओं की मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है।
• सकल प्रजनन दर (GRR): यह प्रजनन क्षमता की एक माप है जो दर्शातीहै कि किसी महिला द्वारा अपने संपूर्ण प्रजनन काल में, यदि मृत्यु दर शून्य हो, तो जन्मी लड़कियों की औसत संख्या कितनी होगी। इसे उस वर्ष की आयु-विशिष्ट प्रजनन दर (ASFRs) के आधार पर निकाला जाता है।
नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) सांख्यिकीय रिपोर्ट के बारे में
• यह वृहत स्तर पर किया जाने वाला जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण है जो भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में हर साल आयोजित किया जाता है।
• नमूना पंजीकरण प्रणाली की पृष्ठभूमि:
- भारत में नागरिक पंजीकरण को एकीकृत करने के लिए जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 लागू किया गया।
- जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के बावजूद, कुछ राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में इस संबंध में कम जानकारी दर्ज की जाती है।
- आंकड़ों के अंतराल को पाटने के लिए, नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) को 1964-65 (पायलट आधार पर) में और 1969-70 में पूर्ण रूप से शुरू किया गया था।