संदर्भ:
हाल ही में द लांसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत को आत्महत्याओं के कारण प्रतिवर्ष लगभग 13.4 लाख करोड़ रुपये (16 बिलियन डॉलर) का नुकसान होता है।
अन्य संबंधित जानकारी:
- यह अध्ययन 2019 में 31 राज्यों और केंद्र शा सित प्रदेशों में 195,000 आत्महत्या के आंकड़ों पर आधारित है।
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प्रमुख बिन्दु:
- कर्नाटक का (भारत की जनसंख्या का केवल 5% होने के बावजूद) आत्महत्याओं के कारण देश में होने वाले आर्थिक नुकसान में 20% हिस्सा है, जो 2.33 लाख करोड़ रुपये (सबसे अधिक) का आर्थिक नुकसान है।
- आर्थिक प्रभाव : कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र का संयुक्त वित्तीय बोझ देश में आत्महत्या से संबंधित कुल नुकसान का लगभग 45% है, जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वार्षिक बजट से भी अधिक है।
- आत्महत्या दर : भारत में आत्महत्या की दर प्रति एक लाख लोगों पर 14 है, जो वैश्विक औसत प्रति एक लाख लोगों पर 9 से काफी अधिक है, जिसके कारण इसे “विश्व की आत्महत्या राजधानी” कहा जाता है।
राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति का लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या मृत्यु दर को 10 प्रतिशत तक कम करना है। - जनसांख्यिकीय रुझान : 20-34 आयु वर्ग के व्यक्तियों में कुल आत्महत्या दर 53% हैं , जो देश की आर्थिक वृद्धि और भविष्य की कार्यबल क्षमता को प्रभावित करते हैं ।
- लिंग असमानताएं : अध्ययन में 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाआत्महत्या दर में वृद्धि देखी गई है, जो समग्र आर्थिक बोझ में योगदान दे रही है।
- मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं : राज्यों में अवसाद, मादक द्रव्यों के सेवन और अनुपचारित मानसिक स्वास्थ्य विकार के कारण स्वास्थ्य संबंधी आत्महत्याओं में वृद्धि हो रही हैं।
- कर्नाटक की स्थिति : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB ) के अनुसार, कर्नाटक भारत में सबसे अधिक आत्महत्या दर वाले शीर्ष पांच राज्यों में से एक है , जहां 2021 में प्रत्येक दिन अनुमानित 36 लोग आत्महत्या करते हैं।
पिछले 15 महीनों में कर्नाटक में लगभग 1,500 किसान वित्तीय संकट, फसल विफलता और बढ़ते कर्ज के कारण आत्महत्या कर चुके हैं।
आत्महत्या रोकथाम रणनीतियाँ:
- बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण : लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए सरकार, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कॉर्पोरेट क्षेत्रों को शामिल करते हुए सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है।
- व्यापक रणनीति : मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, वित्तीय परामर्श और आत्महत्या रोकथाम हॉटलाइन को एकीकृत करके मूल कारणों का समाधान करना।
- बजटीय फोकस : रिपोर्ट में आत्महत्या रोकथाम कार्यक्रमों के लिए विशेष रूप से बेहतर वित्त पोषण की मांग की गई है, तथा गरीबी और बेरोजगारी जैसे सामाजिक-आर्थिक कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
कर्नाटक-विशिष्ट योजना : कर्नाटक के लिए एक अनुकूलित रणनीति महत्वपूर्ण है, जो निम्नलिखित पर केंद्रित होगी:
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल
- वित्तीय सहायता
- कमजोर आबादी तक सामुदायिक पहुंच।