संदर्भ:

गैंडे के अवैध शिकार से निपटने के लिए दक्षिण अफ़्रीका के वैज्ञानिकों ने एक अभिनव रणनीति को अपनाया है। 

अन्य संबंधित जानकारी 

  • दक्षिण अफ़्रीकी वैज्ञानिकों ने गैंडों के अवैध शिकार संबंधी चुनौती से निपटने हेतु एक अभिनव रणनीति विकसित की है, जिसे राइज़ोटोप परियोजना (Rhisotope Project) के नाम से जाना जाता है। 
  • इस परियोजना का उद्देश्य जीवित गैंडे के सींगों में रेडियोधर्मी पदार्थ इंजेक्ट करके निम्नलिखित दो प्राथमिक लक्ष्य को प्राप्त करना है: 
  1. सीमा चौकियों पर पता लगाने की क्षमता को बढ़ाना और
  2. इनके सींग को मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाकर शिकारियों पर अंकुश लगना।
  • वैज्ञानिक रूप से क्रियान्वयन: इस परियोजना के तहत 20 गैंडों के सींगों में दो छोटे रेडियोधर्मी चिप्स अन्तर्निदिष्ट करना है।
    ये चिप्स कम मात्रा में विकिरण उत्सर्जित करते हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर विकिरण सेंसरों द्वारा पता लगाने योग्य बनाने के लिए सावधानीपूर्वक विकसित किया गया है, तथा इससे गैंडों या उसके आसपास के पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है।
  • गैंडों के संरक्षण हेतु किए जाने वाले प्रयासों का प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय राइनो फाउंडेशन के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका में वैश्विक स्तर पर गैंडों की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है, जहाँ लगभग 80 प्रतिशत सफेद गैंडे और 33 प्रतिशत काले गैंडे पाए जाते हैं।
    अवैध शिकार इनकी आबादियों के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है, इसलिए रिसोटोप परियोजना जैसे अभिनव समाधान उनकी सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
  • परियोजना से संभावना और अंतिम चरण: अवैध शिकार से निपटने में परियोजना की प्रभावकारिता संबंधी संभावना को देखते हुए, सींग काटने और जहर देने जैसी पिछली विधियों की विफलताओं को ध्यान में रखते हुए।
    तीन वर्षों के विकास के बाद यह परियोजना गैंडे के सींगों में रेडियोआइसोटोप के सफल सम्मिलन के साथ अपने अंतिम चरण में पहुँच गई है।

IUCN की रेड लिस्ट

  • इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा संकलित IUCN रेड लिस्ट एक वैश्विक रिपोर्ट कार्ड है, जो प्रजातियों की संरक्षण की स्थिति पर नज़र रखता है, यह दर्शाता है कि कौन-सी प्रजाति विलुप्त होने के कितने करीब हैं।

गैंडों की वर्तमान स्थिति:

  • विश्व में गैंडे की पाँच प्रजातियाँ बची हैं, जिन्हें मूल महाद्वीप के आधार पर दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है।

अफ़्रीकी गैंडे

  • काला गैंडा: यह दो अफ़्रीकी प्रजातियों में से छोटा है।
  1. आईयूसीएन रेड लिस्ट में गंभीर संकटग्रस्त (CE): इसके सींगों हेतु अवैध शिकार के कारण।
  2. CITES की  परिशिष्ट I में सूचीबद्ध
  • सफेद गैंडा: यह हाथी के बाद अफ्रीका का सबसे बड़ा स्थलीय स्तनपायी है।
  1. संकटापन्न (NT)

एशियाई गैंडे

बड़ा एक सींग वाला गैंडा
  1. इसे भारतीय गैंडा भी कहा जाता है।
  2. यह भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है तथा इसे IUCN की रेड लिस्ट में सुभेद्य (VU) के रूप में में रखा गया है।
जावन गैंडा (Javan Rhinoceros)
  1. यह गैंडा की गंभीर रूप से संकटग्रस्त (CR) प्रजाति है।
  2. यह इंडोनेशिया में पाया जाता है।
  3. यह एक सींग वाला गैंडा है।
सुमात्रा गैंडा (Sumatran Rhinoceros)
  1. यह गैंडा की सबसे छोटी प्रजाति है। 
  2. यह सुमात्रा और बोर्नियो में पाया जाता है।
  3. इसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त (CR) श्रेणी में रखा गया है।
  4. यह दो सींग वाला गैंडा हैं।
  • पश्चिमी काले गैंडे को उनके सींगों के लिए काफी अधिक अवैध शिकार के कारण वर्ष 2013 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
  • वर्तमान में, केवल दो उत्तरी सफ़ेद गैंडे जीवित हैं, इन दोनों मादा गैंडाओं को केन्या में कड़ी निगरानी में रखा गया है। यह उप-प्रजाति जंगली में कार्यात्मक रूप से विलुप्त हो चुकी है।

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