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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।
संदर्भ:
हाल ही में, नई श्रृंखला के अंतर्गत दूसरा त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) जारी किया गया, जिसमें प्रमुख श्रम बल संकेतकों के अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं।
मुख्य निष्कर्ष
- श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए समग्र LFPR जुलाई-सितंबर 2025 के दौरान 55.1% पर स्थिर हो गई, जबकि पिछली तिमाही में यह 55.0% थी।
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मामूली वृद्धि देखी गई, ग्रामीण LFPR 57.1% से बढ़कर 57.2% हो गई, और शहरी LFPR भी 50.6% से बढ़कर 50.7% हो गई।
- महिला LFPR: 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं में समग्र LFPR जुलाई-सितंबर 2025 में बढ़कर 33.7% हो गई, जो पिछली तिमाही में 33.4% थी।
- यह वृद्धि मुख्यतः इसी अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला LFPR में वृद्धि (जो 37.0% से बढ़कर 37.5% हो गई ) के कारण हुई।
- बेरोजगारी दर (UR): 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए समग्र बेरोजगारी दर जुलाई-सितंबर 2025 में पिछली तिमाही के 5.4% से घटकर 5.2% हो गई।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में भिन्नता देखी गई। ग्रामीण बेरोजगारी दर 4.8% से घटकर 4.4% हो गई, जबकि शहरी बेरोजगारी दर 6.8% से थोड़ी बढ़कर 6.9% हो गई।
- श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR): WPR 52.0% से मामूली रूप से बढ़कर 52.2% हो गया, जिसमें 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए ग्रामीण WPR 54.7% और शहरी WPR 47.2% रहा।
- समग्र महिला WPR जुलाई-सितंबर 2025 में बढ़कर 32.0% हो गई, जो पिछली तिमाही में 31.6% थी।
- रोजगार के प्रकार:
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोजगार का वर्चस्व रहा, जो 60.7% से बढ़कर 62.8% हो गया।
- शहरी क्षेत्रों में, नियमित वेतन या वेतनभोगी रोजगार में मामूली सुधार हुआ, जो 49.4% से बढ़कर 49.8% हो गया।
- क्षेत्रवार रोजगार:
- ग्रामीण कार्यबल का कृषि में संकेन्द्रण जारी रहा, जिसकी हिस्सेदारी 53.5% से बढ़कर 57.7% हो गई। इसका कारण मौसमी कृषि गतिविधि को माना जा सकता है।
- शहरी कार्यबल बड़े पैमाने पर तृतीयक क्षेत्रक में संलग्न था, जिसमें 62.0% शहरी श्रमिक थे और यह पिछली तिमाही के 61.7% से थोड़ा अधिक था।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के बारे में
- PLFS का संचालन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अंतर्गत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा किया जाता है।
- यह पूरे भारत में श्रम बाजार गतिविधि और रोजगार-बेरोजगारी के रुझानों पर प्रमुख डेटा स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- जनवरी 2025 से कार्यपद्धति में सुधार:
- जनवरी 2025 से, PLFS ने वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (CWS) ढांचे के तहत ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में विस्तृत कवरेज के साथ एक व्यापक पद्धतिगत अद्यतन किया।
- इस कार्यपद्धति के जरिए श्रम बाजार की गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझने हेतु प्रमुख रोजगार संकेतकों के लिए मासिक और त्रैमासिक अनुमान चक्र पेश किए गए।
- पुन: डिज़ाइन किए गए PLFS के उद्देश्य
- CWS ढांचे के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) और बेरोजगारी दर (UR) के मासिक राष्ट्रीय स्तर के अनुमान जारी करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल करने के लिए त्रैमासिक PLFS कवरेज का विस्तार करना, जिससे CWS के तहत राष्ट्रव्यापी त्रैमासिक श्रम बाजार अनुमान लगाया जा सके।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए सामान्य स्थिति और वर्तमान साप्ताहिक स्थिति दोनों के तहत प्रमुख रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों के वार्षिक अनुमान उपलब्ध कराना।
- कवरेज और रिपोर्टिंग में सुधार
- अप्रैल-जून 2025 बुलेटिन में पहली बार ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के अनुमान शामिल किए गए थे।
- जुलाई-सितंबर 2025 बुलेटिन में प्रमुख संकेतकों के साथ-साथ श्रमिकों की संख्या को पूर्ण रूप से प्रस्तुत किया गया।
- इसके अतिरिक्त, यह बुलेटिन चयनित राज्यों के लिए LFPR, WPR और UR के राज्य-स्तरीय अनुमान प्रस्तुत करता है, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग हैं।
