संदर्भ: 

हाल ही में, लोकसभा ने गुजरात के ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आणंद(IRMA) में भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने हेतु त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित किया।

अन्य संबंधित जानकारी

यह विधेयक 3 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया।

विधेयक में ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद, गुजरात (IRMA) को “त्रिभुवन” सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने का प्रावधान है और IRMA विश्वविद्यालय के सघटकों में से एक बन जाएगा।

  • वर्तमान में, IRMA एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत है।

विधेयक में IRMA को ग्रामीण प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र भी घोषित किया गया है।

भारत में वर्तमान में लगभग 8 लाख सहकारी समितियां हैं जिनके 30 करोड़ सदस्य हैं।

जल्द ही एक सहकारी बीमा कंपनी भी स्थापित की जाएगी जो देश की सभी सहकारी समितियों को बीमा कवरेज प्रदान करेगी।

प्रस्तावित विश्वविद्यालय के बारे में:

विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार राष्ट्रव्यापी होगा तथा सभी राज्यों के सहकारी प्रशिक्षण संस्थान इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत विद्यालय या महाविद्यालय के रूप में पंजीकृत होंगे।

विश्वविद्यालय भारत में या भारत से बाहर किसी अन्य स्थान पर दूरस्थ परिसर या संबद्ध संस्थान स्थापित कर सकता है।

विश्वविद्यालय हब-एंड-स्पोक मॉडल पर काम करेगा । इसमें डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी पाठ्यक्रम होंगे। प्रति वर्ष लगभग 8 लाख लोगों को विश्वविद्यालय से प्रमाणन मिलने की उम्मीद है।

  • हब और स्पोक मॉडल एक वितरण प्रणाली है जहाँ एक केंद्रीय हब विभिन्न स्पोक से जुड़ता है। इसका उपयोग लॉजिस्टिक्स, नेटवर्किंग और अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।

विश्वविद्यालय का नाम सहकारी डेयरी अमूल के संस्थापक त्रिभुवन काशीभाई पटेल के नाम पर रखा गया है।

विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए की जाएगी तथा वे अगले दो वर्षों के लिए पुनः नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।

विश्वविद्यालय में संस्थानों को प्रवेश देने या संबद्ध करने के लिए एक संबद्धता और मान्यता बोर्ड होगा।

विश्वविद्यालय का एक शासी बोर्ड होगा और उसका अध्यक्ष कुलाधिपति होगा, जो एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा और उसे केंद्र सरकार द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाएगा।

विश्वविद्यालय का महत्व

  • इससे भारत में सहकारी क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।
  • विश्वविद्यालय न केवल लोगों को प्रशिक्षित करेगा बल्कि इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के कौशल को भी उन्नत करेगा।
  • इससे ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा स्वरोजगार, अनुसंधान और नवाचार के अवसर उत्पन्न होंगे।
  • विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र में वर्तमान शिक्षा और प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा, जो “खंडित और अत्यधिक अपर्याप्त” है।
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