प्रसंग: उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या की प्राचीन नदी तिलोदकी गंगा  को पुनर्जीवित करने की योजना पर कार्य कर रही है।

समाचार में विस्तार:

  • यह नदी कभी अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों की जीवनरेखा मानी जाती थी, लेकिन समय के साथ इसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है।
  • नदी की ज़मीन पर भारी अतिक्रमण हुआ है, जहां कई भवनों का निर्माण हो चुका है।
  • इसका मुख्य हिस्सा प्रयागराज नेशनल हाईवे के किनारे पड़ता है, जो वर्तमान में बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के साथ तेज़ी से विकासशील क्षेत्र बन चुका है।
  • उत्तर प्रदेश सरकार और अयोध्या प्रशासन मिलकर इस नदी के पुनर्जीवन की योजना पर कार्य कर रहे हैं।
  • इस पहल के तहत नदी को पूरी तरह से पुनर्निर्मित किया जाएगा और इसे उसके मूल स्वरूप में लौटाया जाएगा।
  • यह नदी कुल 46 किलोमीटर लंबी है, और पुनर्जीवन परियोजना के पहले चरण में 7 किलोमीटर लंबे हिस्से पर कार्य शुरू हो चुका है।
  • यह कार्य मनरेगा योजना  के तहत अयोध्या के सोहावल क्षेत्र में गौरा ब्राह्मणान  से पंडितपुर  के बीच किया जा रहा है।
  • यह परियोजना उत्तर प्रदेश की एक जनपद, एक नदी पहल का हिस्सा है, और इसका उद्देश्य नदी के ऐतिहासिक महत्व को पुनर्स्थापित करना है।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने भी इस नदी की स्थिति पर संज्ञान लिया है और अयोध्या के ज़िलाधिकारी को इसके पुनर्जीवन के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, जिसमें बहते हुए अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के तरीकों की खोज भी शामिल है।
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