संदर्भ
तपेदिक वैक्सीन MTBVAC के क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे चरण को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation- CDSCO) द्वारा मंजूरी दी गई है।
अन्य संबंधित जानकारी
- MTBVAC: भारतीय कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech), स्पैनिश कंपनी बायोफैब्री (Biofabri) के सहयोग से MTBVAC नामक एक नई क्षय रोग यानी, तपेदिक (TB) वैक्सीन विकसित कर रही है।
- MTBVAC मानव स्रोत से विकसित पहली तपेदिक वैक्सीन है और इसके क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुके है।
- क्लिनिकल ट्रायल में यह क्षय रोग (तपेदिक) के प्रतिरोधी अन्य टीकों से अलग है, क्योंकि यह रोगजनक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के आनुवंशिक रूप (जिसे मनुष्यों से पृथक किया गया) से संशोधित संस्करण पर आधारित है।
- BCG (Bacillus Calmette-Guérin) वैक्सीन के विपरीत, MTBVAC में मनुष्यों को संक्रमित करने वाले रोगज़नक़ के उपभेदों में मौजूद सभी एंटीजन शामिल होते हैं।
- दूसरे चरण की मंजूरी: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) ने स्वस्थ किशोरों और वयस्कों में सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए MTBVAC (लाइव एटेन्यूएटेड) के क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे चरण को मंजूरी दी है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)
- यह भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- यह भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (NRA) है।
मुख्यालय: नई दिल्ली
- वर्ष 1940 के औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत: यह दवा अनुमोदन और नैदानिक परीक्षणों की देखरेख करता है, दवा मानक निर्धारित करता है, आयातित दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है और समान नियमों को लागू करने के लिए राज्य औषधि नियंत्रण निकायों के साथ समन्वय करता है।
MTBVAC का महत्व
- BCG की सीमाओं का समाधान: मौजूदा BCG वैक्सीन (Bacillus Calmette-Guérin) एक सदी से अधिक पुरानी है और फुफ्फुसीय टीबी (Pulmonary TB) (जो कि टीबी का सबसे आम प्रकार है) के विरुद्ध भी सीमित प्रतिरक्षा प्रदान करती है।
MTBVAC के संभावित लाभ
- इसे मानव टीबी स्ट्रेन से विकसित किया गया है जो संभावित रूप से व्यापक प्रतिरक्षा प्रदान करेगी।
- इसका उद्देश्य विशेष रूप से नवजात शिशुओं और वयस्कों/किशोरों (जिनके लिए वर्तमान में प्रभावी वैक्सीन की कमी है) के लिए BCG की तुलना में अधिक प्रभावी और दीर्घकालिक प्रतिरक्षा विकसित करना है|।
ट्रायल का विवरण
- दूसरे चरण के ट्रायल में स्वस्थ किशोरों और वयस्कों में सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आकलन किया जाएगा।
CDSCO ने निम्नलिखित संशोधन सुझाए हैं:
- प्रतिभागियों के लिए अपवर्जन मानदंडों में संशोधन।
- बलगम एसिड-फास्ट बैसिलि (AFB) स्मीयर परीक्षणों के बजाय सटीक टीबी डायग्नोस्टिक परीक्षण (आणविक-आधारित आरटी-पीसीआर) का उपयोग करना।
- नियमित डेटा और सुरक्षा निगरानी बोर्ड (DSMB) समीक्षा।
BCG वैक्सीन
- उद्देश्य: यह माइकोबैक्टीरियम बोविस का एकमात्र उपलब्ध एटेनुएटेड वैक्सीन है, जिसका उपयोग क्षय रोग और अन्य माइकोबैक्टीरियल संक्रमणों के खिलाफ किया जाता है।
- इतिहास: इसका विकास कैलमेट और ग्यूरिन द्वारा किया गया था और इसका उपयोग पहली बार वर्ष 1921 में मनुष्यों पर किया गया था।
- प्रक्रिया: इसे बोवाइन तपेदिक बैक्टीरिया (मानव टीबी से अलग) के कमजोर स्ट्रेन से बनाया गया है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को टीबी संक्रमण को पहचानने और उससे लड़ने के लिए उत्तेजित करता है।
सीमाएँ:
- फुफ्फुसीय टीबी (सबसे सामान्य रूप) के खिलाफ सीमित प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
- समय के साथ इसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है।
- सभी (जैसे- कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्ति) के लिए अनुशंसित नहीं है।
अन्य वैक्सीन
वैक्सीन | प्रकार | स्टेज | लक्ष्य | प्रमुख बिंदु |
MTBVAC | लाइव एटेनुएटेड बैक्टीरिया | दूसरे चरण का ट्रायल | वयस्क एवं किशोर | क्लिनिकल ट्रायल में पहली मानव-व्युत्पन्न टीबी वैक्सीन |
M72/AS01E | प्रोटीन-सबयूनिट | चरण II b ट्रायल | वयस्क जिन्हें गुप्त टीबी (latent TB) संक्रमण है | सक्रिय टीबी रोग के प्रति प्रतिरोध |
Viral-Vectored Vaccines (e.g., MVA85A) | वायरल वेक्टर | विभिन्न चरण | बच्चे (बीसीजी बूस्टर) | लक्ष्य : BCG-प्रेरित प्रतिरक्षा को मजबूत करना |
rBCG 30 | संशोधित BCG | पहले चरण का ट्रायल | शिशु | बीसीजी की तुलना में अधिक समय तक प्रतिरक्षा की संभावना |
VPM 1002 | रिकॉम्बिनेंट BCG | तीसरे चरण का ट्रायल | नवजात शिशु, वयस्क और किशोर | संभावित रूप से व्यापक सुरक्षा के लिए विशिष्ट एंटीजन को व्यक्त करने वाला संशोधितBCG |
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