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सामान्य अध्ययन3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – विकास, उनके अनुप्रयोग और दैनिक जीवन पर प्रभाव

संदर्भ: 

हाल ही में एयर इंडिया की एक उड़ान दुर्घटना के पीड़ितों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर डीएनए परीक्षण किए गए हैं।

अन्य संबंधित जानकारी

  • 12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद एयर इंडिया की उड़ान 171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें कम से कम 270 लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें अधिकांश यात्री थे।
  • पीड़ितों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण किए जा रहे हैं, और अधिकांश अवशेषों की पहचान पहले ही उनके परिवारों के नमूनों से मेल करके की जा चुकी है।

डीएनए विश्लेषण क्या है?

  • डीएनए विश्लेषण (DNA Analysis), जिसे डीएनए प्रोफाइलिंग या डीएनए फिंगरप्रिंटिंग भी कहा जाता है, एक वैज्ञानिक तकनीक है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की विशिष्ट आनुवंशिक रचना (Genetic Makeup) के आधार पर उसकी पहचान करने के लिए किया जाता है।
  • हालाँकि 99.9% मानव डीएनए एक समान होता है, लेकिन शेष 0.1% में भिन्नताएँ होती हैं, जिन्हें शॉर्ट टैंडम रिपीट्स (STR) कहा जाता है।
  • ये STR अनुक्रम अत्यधिक परिवर्तनीय होते हैं और फॉरेंसिक जांच में मुख्य आनुवंशिक चिह्नक (Genetic Markers) के रूप में कार्य करते हैं। केवल समान जुड़वाँ (Identical Twins) का डीएनए प्रोफ़ाइल समान होता है।

शॉर्ट टैंडम रिपीट्स (STRs):

  • STR एक छोटा डीएनए अनुक्रम होता है जो एक ही स्थान पर कई बार दोहराया जाता है।
  • यह बहुरूपी (Polymorphic) होता है, यानी असंबंधित व्यक्तियों में STR दोहराव की संख्या अलग-अलग होती है, जिससे उनकी पहचान संभव होती है।

डीएनए की प्रतियाँ कैसे बनाई जाती हैं?

  • पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) एक ऐसी विधि है जिसका उपयोग वैज्ञानिक डीएनए के एक विशिष्ट भाग की कई प्रतियाँ बनाने के लिए करते हैं, यहाँ तक कि एक छोटे से नमूने से भी।
  • सबसे पहले, डीएनए को गर्म करके उसके स्ट्रैंड को अलग करते हैं। फिर, वे प्राइमर नामक छोटे डीएनए टुकड़े जोड़ते हैं, जो उस हिस्से से चिपक जाते हैं जिसे वे कॉपी करना चाहते हैं।
  • डीएनए पॉलीमरेज़ नामक एक विशेष एंजाइम मिलान करने वाले बेस को जोड़कर नए स्ट्रैंड बनाने में मदद करता है।
  • यह प्रक्रिया थर्मोसाइक्लर नामक एक मशीन में होती है, जो तापमान को अपने आप परिवर्तित कर  देती है।
  • इन चरणों को कई बार दोहराकर, वैज्ञानिक तेज़ी से लाखों प्रतियाँ बना सकते हैं। पीसीआर का उपयोग अक्सर एसटीआर जैसे कुछ डीएनए क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।

डीएनए विश्लेषण के अनुप्रयोग:

  • फॉरेंसिक पहचान: दुर्घटनाओं या आपदाओं में मृत व्यक्तियों की पहचान।
  • पैतृकता निर्धारण: माता-पिता और संतान के बीच संबंध स्थापित करने में।
  • अपराध स्थल पर साक्ष्य जांच: खून, पसीना, थूक आदि से आरोपी की पहचान।
  • अंगदान में: उपयुक्त दाताओं की पहचान या अस्वीकृति के लिए।
  • प्राचीन मानव जातियों के अध्ययन में।
  • रोगों की आनुवंशिक प्रवृत्तियों और जैव विविधता की समझ में।

डीएनए विश्लेषण से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • पर्यावरणीय प्रभाव: गर्मी, नमी, धूप और सूक्ष्मजीवों के कारण डीएनए आसानी से नष्ट हो सकता है।
  • घटना के समय से देरी: जितना अधिक समय बीतता है, डीएनए उतना ही अधिक क्षतिग्रस्त होता है।
  • नमूने का प्रकार और भंडारण: नरम ऊतक जल्दी विघटित होते हैं, जबकि हड्डियाँ और दांत डीएनए को बेहतर सुरक्षित रखते हैं।
  • कम मात्रा वाला डीएनए (Low Template DNA): बहुत कम डीएनए होने पर विश्लेषण कठिन होता है और दूषण (Contamination) की आशंका बढ़ जाती है।

आगे की राह:

  • विकसित तकनीकें: कम मात्रा और क्षतिग्रस्त डीएनए के विश्लेषण के लिए उन्नत, तेज़ और किफायती तकनीकों का विकास।
  • राष्ट्रीय दिशानिर्देश: डीएनए संग्रह, संरक्षण और विश्लेषण के लिए सख्त दिशा-निर्देशों को लागू करना।
  • गोपनीयता-संरक्षण कानून: डेटा सुरक्षा और दुरुपयोग से बचाने के लिए संतुलित कानून।
  • प्रशिक्षण: पुलिस, फॉरेंसिक विशेषज्ञों और न्यायिक अधिकारियों को डीएनए साक्ष्यों की बेहतर समझ और उपयोग हेतु प्रशिक्षित करना।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

आधुनिक विज्ञान में डीएनए विश्लेषण का महत्व एवं इसके अनुप्रयोगों पर चर्चा करें, विशेषकर फॉरेंसिक जांच के संदर्भ में। इससे जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं? उपयुक्त समाधान सुझाएँ। (15 अंक, 150 शब्द)

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