संदर्भ:

हाल ही में, दूरसंचार विभाग (DoT) ने सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार कनेक्टिविटी बढ़ाने हेतु डिजिटल भारत निधि (Digital Bharat Nidhi) को लागू करने वाले मसौदा नियमों  को जारी किया है।

डिजिटल भारत निधि (DBN) का उद्देश्य और  कार्यप्रणाली:

  • सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (Universal Service Obligation Fund-USOF) का प्रतिस्थापन: डिजिटल भारत निधि सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि को प्रतिस्थापित करेगा, जिसे दूरसंचार ऑपरेटरों के समायोजित सकल राजस्व (AGR) पर 5 प्रतिशत शुल्क लगाकर वित्त पोषित किया जाता है।
    समायोजित सकल राजस्व सरकार और दूरसंचार कम्पनियों के बीच एक शुल्क-साझाकरण तंत्र है। इसे वर्ष 1999 में ‘निश्चित लाइसेंस शुल्क’ मॉडल से ‘राजस्व-साझाकरण शुल्क’ मॉडल में परिवर्तित किया गया था।
  • सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि के प्रतिस्थापन का उद्देश्य गैर-लाभकारी ग्रामीण बाजारों में निजी कंपनियों की संचार सेवा प्रदान करने की अनिच्छा को दूर करना है।
  • वित्तपोषण तंत्र: इसके तहत दूरसंचार कंपनियों का योगदान  पहले भारत की समेकित निधि में संगृहीत होगा, इसके बाद इस निधि को डिजिटल भारत निधि में हस्तांतरित किया जायेगा।
  • उपयोगिता: डिजिटल भारत निधि का  उपयोगिता क्षेत्र सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि से अधिक व्यापक है, जो कि कम संचार सेवा वाले ग्रामीण इलाकों, दूरस्थ और शहरी क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
    डिजिटल भारत निधि फंड से अवसंरचना का विस्तार, अनुसंधान, पायलट परियोजनाओं और दूरसंचार सेवाओं के कवरेज क्षेत्र को बढ़ाने सहित विभिन्न पहलों को समर्थन मिलेगा।

सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि

  • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उच्च गुणवत्ता वाली और  किफायती मोबाइल और डिजिटल सेवाएँ ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचाना है, जिससे नेटवर्क और सूचना तक समान पहुँच को बढ़ावा मिले।
  • इस पहल से वंचित, ग्रामीण और सुदूर  क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और जीवन स्तर में सुधार होने की उम्मीद है।
  • वर्तमान में, सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि का क्रियान्वयन संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग के तहत केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक प्रशासक द्वारा किया जाता है। 

परिचालन संबंधी ढाँचा 

  • प्रशासक की भूमिका: केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक डिजिटल भारत निधि संबंधी निधियों का प्रबंधन करेगा तथा बोली के माध्यम से या आवेदन आमंत्रित करके इसके लागूकर्त्ताओं का चयन करेगा।
  • परियोजना का वित्तपोषण: प्रशासक द्वारा वितरित धनराशि पूर्ण, आंशिक, सह-वित्तपोषण या बाजार जोखिम शमन के रूप में हो सकती है।

उद्देश्य एवं मानदंड:

  • डिजिटल भारत निधि द्वारा समर्थित परियोजनाएँ महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे वंचित समूहों को लाभ पहुँचाने हेतु दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में पहुँच, सामर्थ्य और नवाचार में सुधार पर ध्यान केंद्रित होगी।
  • इसके लिए निर्धारित मानदंडों में अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों को पेश करना, सेवा की सामर्थ्य में सुधार करना, अनुसंधान एवं विकास और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मानक विकसित करना, और दूरसंचार स्टार्ट-अप और उपकरण विनिर्माण को समर्थन करना शामिल है। 
  • डिजिटल भारत निधि कार्यान्वयनकर्त्ताओं को प्रशासक के निर्देशों के अनुसार सभी के लिए उपयोगी और गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार के आधार पर   नेटवर्क संचालित करना होगा।

चुनौतियाँ और पिछला प्रदर्शन

सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि का कम उपयोग: सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि निधियों का बेहद कम उपयोग होना  चिंता का विषय है। क्योंकि, इसके तहत वर्ष 2017 से वर्ष 2022 तक एकत्रित निधियों का केवल लगभग 72 प्रतिशत ही उपयोग किया गया है।

  • वित्तीय वर्ष 2022-23 में, सरकार ने सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि से अपने व्यय अनुमान को काफी  कम करके 3,010 करोड़ रुपये कर दिया, जो कि 9,000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक बजटीय अनुमान से 200 प्रतिशत कम है।
  • यह खर्च में कमी मुख्य रूप से भारतनेट परियोजना के लिए आवंटित धनराशि के कम उपयोग के कारण है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में फाइबर कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

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