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सामान्य अध्ययन-1: भारतीय संस्कृति – प्राचीन काल से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के प्रमुख पहलू।

संदर्भ: 

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 11 से 13 सितंबर 2025 तक विज्ञान भवन, नई दिल्ली में पहली बार ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।

ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

  • सम्मेलन की थीम थी: “पांडुलिपि धरोहर के माध्यम से भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्स्थापना”।
  • इसका उद्देश्य भारत की पांडुलिपि धरोहर का पुनरुत्थान करना, उसे वैश्विक स्तर पर ले जाना तथा समकालीन शिक्षा, अनुसंधान और सांस्कृतिक विमर्श में एकीकृत करना है।
  • यह मंच विचारों के आदान-प्रदान, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और पांडुलिपियों के संरक्षण एवं डिजिटलीकरण पर सहयोग को सुदृढ़ करने का माध्यम है।
  • भारत के प्रधानमंत्री ने ‘ज्ञान भारतम् पोर्टल’ का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि धरोहर का डिजिटलीकरण कर उसकी उपलब्धता बढ़ाना और सांस्कृतिक ज्ञान का संरक्षण करना है।
  • यह सम्मेलन भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण एवं डिजिटलीकरण के लिए देशभर से संबंधित हितधारकों को एक मंच पर लाने वाला प्रथम अंतरराष्ट्रीय मंच है, जो व्यापक रोडमैप तैयार करने की दिशा में सहयोग और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करता है।
  • प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि भारत के पास लगभग एक करोड़ पांडुलिपियों का विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है, जो हमारे लिए गर्व का विषय है।

ज्ञान भारतम मिशन

  • यह एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि धरोहर को संरक्षित, डिजिटाइज और प्रसारित करना है, ताकि पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ जोड़कर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके।
  • इसे 2024–31 की अवधि के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना (Central Sector Scheme) के रूप में अनुमोदित किया गया है, जिसका कुल बजटीय परिव्यय ₹482.85 करोड़ है और अब तक 44.07 लाख से अधिक पांडुलिपियाँ ‘कृति संपदा’ डिजिटल रिपॉजिटरी में प्रलेखित की जा चुकी हैं। 
  • इस पहल का उद्देश्य विद्वत् नवाचार को प्रेरित करना, सभ्यतागत गौरव को सशक्त बनाना, प्रौद्योगिकी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, तथा सांस्कृतिक कूटनीति का विस्तार करना है।

प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • देशभर में 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण एवं सूचीबद्धकरण।
  • पांडुलिपियों का राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी स्थापित करना।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर स्मार्ट एक्सेस, लिप्यंतरण तथा स्रोत प्रामाणिकता (Provenance) को सुनिश्चित करना।

ज्ञान भारतम मिशन के प्रमुख प्रावधान

  • संरक्षण एवं डिजिटलीकरण: पांडुलिपियों की पहचान, प्रलेखन, संरक्षण एवं पुनर्स्थापन का कार्य किया जाएगा, जिसमें एआई-आधारित बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण और एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी की स्थापना की जाएगी।
  • ज्ञान पुनर्जागरण: पांडुलिपियों में संचित ज्ञान को वैश्विक शोध एवं शिक्षा से जोड़ने हेतु शोध, आलोचनात्मक संस्करण, अनुवाद तथा प्रकाशन को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • क्षमता निर्माण एवं प्रौद्योगिकी: लिपिशास्त्र (Palaeography), संरक्षण एवं डिजिटल उपकरणों में विशेषज्ञता का विकास किया जाएगा तथा ऐप, सुरक्षित रिपॉजिटरी और नवाचार प्लेटफॉर्म विकसित किए जाएंगे ताकि पांडुलिपियों तक कुशल पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
  • सक्रिय सहभागिता एवं सहयोग: पांडुलिपि संरक्षकों को अपने संग्रह साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा; युवा वर्ग एवं विद्वानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी तथा वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि पांडुलिपियाँ एक सजीव सांस्कृतिक एवं शैक्षिक संसाधन के रूप में पुनः स्थापित हो सकें।
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