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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: आपदा और आपदा प्रबंधन
संदर्भ:
हाल ही में, आईआईटी दिल्ली और आईआईटी गांधीनगर के शोधकर्ताओं ने देश के सभी जिलों में बाढ़ की घटनाओं के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (DFSI) तैयार किया है।
जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (DFSI)
- जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (DFSI) एक व्यापक सूचकांक है जो बाढ़ की भयावहता और लोगों पर उसके प्रभाव दोनों के आधार पर जिलों को बाढ़ की गंभीरता के अनुसार रैंक करता है।
- यह सूचकांक आईआईटी दिल्ली और आईआईटी गांधीनगर के शोधकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- इसे जिला स्तर पर बाढ़ की गंभीरता को मापने के लिए विकसित किया गया है, क्योंकि जिले प्रशासन, योजना और आपदा प्रबंधन की मूल इकाइयां होते हैं।
- यह सूचकांक किसी क्षेत्र में बाढ़ की गंभीरता का प्रारंभिक अनुमान लगाने के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा 1967 से एकत्र किए गए वार्षिक डेटा और जिले की जनसंख्या का उपयोग करता है।
- यह बाढ़ की भेद्यता और क्षति को मापने के लिए भारत का पहला महत्वपूर्ण प्रयास है जो जिला-आधारित और अवलोकन-संचालित है।
DFSI के पैरामीटर
जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (DFSI) को दो श्रेणियों में विभाजित छह कारकों का उपयोग करके मापा जाता है।
1. बाढ़ की भयावहता से जुड़े कारक: किसी जिले में सभी बाढ़ की घटनाओं की औसत अवधि (दिनों में), ऐतिहासिक रूप से बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र का प्रतिशत, जिले की कुल जनसंख्या।
2. बाढ़ के प्रभाव से जुड़े कारक: कुल मौतों की संख्या, घायल लोगों की संख्या।
यह सूचकांक अपने वर्तमान स्वरूप में कृषि क्षेत्रों के बाढ़ग्रस्त विस्तार को ध्यान में नहीं रखता है।
मुख्य निष्कर्ष
जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (DFSI) के अनुसार, यहाँ कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष दिए गए हैं:
शीर्ष 5 बाढ़-संवेदनशील जिले (DFSI स्कोर के अनुसार):
- पटना (बिहार) – DFSI: 19.37
- मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) – DFSI: 19.01
- ठाणे (महाराष्ट्र) – DFSI: 18.88
- उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल) – DFSI: 18.86
- गुंटूर (आंध्र प्रदेश) – DFSI: 18.84
अन्य महत्वपूर्ण अवलोकन:
- तिरुवनंतपुरम जिले में 231 से अधिक बाढ़ की घटनाएं हुई हैं, जिसका औसत प्रति वर्ष चार से अधिक है।
- असम के लखीमपुर, धेमाजी और कामरूप जैसे जिले, और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बलिया भी इस सूची में प्रमुखता से शामिल हैं। इन जिलों में पांच दशकों में 200 से अधिक बाढ़ की घटनाएं हुई हैं।
- उत्तराखंड का चमोली जिला शीर्ष 30 में शामिल है, जो ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स (GLOFs) जैसी दुर्लभ लेकिन तीव्र घटनाओं के गंभीर प्रभाव को दर्शाता है।
- DFSI, मुंबई, पुणे और नागपुर जैसे शहरी केंद्रों में बढ़ते बाढ़ के जोखिमों को उजागर करता है। इन शहरों में निचले इलाकों में तेजी से हो रहे अनियोजित विकास ने स्थिति को और खराब कर दिया है।
- इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के तटीय क्षेत्र, चक्रवातों और तीव्र वर्षा दोनों के प्रति तेजी से संवेदनशील होते जा रहे हैं।
जिला बाढ़ गंभीरता सूचकांक (DFSI) की आवश्यकता
- बाढ़-संभावित देश: भारत दुनिया के सबसे अधिक बाढ़-संभावित देशों में से एक है। 1975 से 2015 के बीच बाढ़ से संबंधित लगभग 1.13 लाख मौतें हुईं, जिसका औसत प्रति वर्ष 2,765 है। भारत की दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भरता, जो केवल चार महीनों में 75% वर्षा लाता है, बाढ़ के जोखिम को और बढ़ाती है।
- जिले महत्वपूर्ण इकाइयां हैं: शोधकर्ताओं ने जिला-स्तर पर बाढ़ गंभीरता सूचकांक की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि भारत में जिले प्रशासन और बाढ़ प्रबंधन की मुख्य इकाइयां हैं।
- रिपोर्टिंग की सीमाएं: यह अध्ययन 1967 से IMD के वार्षिक डेटा का उपयोग करता है, जिसमें मुख्य रूप से बड़ी नदी-संबंधी बाढ़ शामिल हैं। रिपोर्टिंग की सीमाओं के कारण, छोटे या शहरी बाढ़ के मामलों को इसमें शामिल नहीं किया गया होगा।
- मौजूदा बाढ़ सूचकांकों में कमी: वर्तमान में मौजूद बाढ़ सूचकांक मुख्य रूप से बाढ़ की भयावहता या जलमग्नता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन वे लोगों पर पड़ने वाले वास्तविक प्रभाव को ठीक से नहीं दर्शा पाते हैं।