प्रसंग:

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय  (NGMA) ने हाल ही में शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। 

प्रदर्शनी के मुख्य अंश

• प्रदर्शनी की घोषणा:

  • भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना, छत्रपति शिवाजी महाराज के भव्य राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय ने “छत्रपति शिवाजी महाराज: महान राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ का उत्सव” शीर्षक से एक प्रदर्शनी का आयोजन किया।

• प्रदर्शनी के उल्लेखनीय पहलू:

  • प्रदर्शनी की शुरुआत एक महत्वपूर्ण दृश्य से हुई: महज चौदह साल के युवा शिवाजी अपने पिता शाहजी से भगवा ध्वज प्राप्त करते हैं।
  • यह प्रतीकात्मक कार्य एक स्वप्न, एक स्वतंत्र मराठा राज्य, स्वराज्य के जन्म का प्रतीक है।
  • इसके बाद कथा प्रमुख सैन्य और नौसैनिक घटनाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से शिवाजी की रणनीतिक प्रतिभा, विशेष रूप से रायगढ़ किले को अपना गढ़ बनाने हेतु उनके चयन पर प्रकाश डालती है।

• कैनवास संग्रह:

  • प्रदर्शनी में दीपक गोरे, जिन्हें कलाकार जहांगीर वजीफदार की गैलरी के प्रबंधन का वर्षों का अनुभव है के संग्रह से विशाल, मंत्रमुग्ध कर देने वाले कैनवस प्रदर्शित किए गए हैं।
  • यूरोपीय तेल चित्रकला की भव्यता को देखते हुए, उन्होंने एक मजबूत, स्थानीय रूप से निहित कथा के साथ एक संग्रह बनाने की कल्पना की।
  • इस दृष्टि ने शिवाजी महाराज की गाथा को कैनवास पर जीवंत कर दिया।
  • परोपकार के कार्यों और यूरोपीय प्रभुत्व के खिलाफ उनकी अवज्ञा को दर्शाने वाली ये पेंटिंग्स उनके बहुमुखी नेतृत्व की झलक पेश करती हैं।

छत्रपति शिवाजी महाराज: एक महान मराठा शासक

  • छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान मराठा शासक थे जिन्होंने 17वीं शताब्दी में एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की थी।

• प्रारंभिक जीवन और सत्ता तक पहुँच (1630-1674)

  • शावाजी का जन्म शिवनेरी किले में हुआ था, उनकी माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शाहजी था। उनके पिता बीजापुरी सल्तनत की सेवा में कार्यरत थे।
  • अपनी किशोरावस्था में ही शिवाजी ने दक्कन क्षेत्र में महत्वपूर्ण किलों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया और आदिलशाही सल्तनत के प्रभुत्व को चुनौती दी।
  • उन्होंने गतिशीलता, आश्चर्यजनक हमलों और दक्कन के दुर्गम इलाकों का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवीन गुरिल्ला युद्ध रणनीति अपनाई।
  • समुद्री व्यापार मार्गों पर मुगल और आदिलशाही नियंत्रण का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत नौसेना की स्थापना की।

 मराठा शक्ति का संगठन (1674-1680)

  • शिवाजी ने मुगल प्रभुत्व का सामना करने और मध्य भारत में अपना अधिकार स्थापित करने में मराठों का नेतृत्व किया।
  • वर्ष 1674 में शिवाजी को छत्रपति (सम्राट) के रूप में ताज पहनाया गया और औपचारिक रूप से मराठा साम्राज्य की स्थापना हुई।
  • उन्होंने एक सक्षम प्रशासन (अष्ट प्रधान) के निर्माण, एक कुशल राजस्व प्रणाली (चौथ और सरदेशमुखी आदि) की स्थापना और एक मजबूत सेना तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • शिवाजी ने अपने राज्य में किसानों और विभिन्न धार्मिक समुदायों की रक्षा करते हुए सामाजिक न्याय और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया।

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