संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) ने जानकारी दी है कि चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (GCBE4) जनवरी 2023 में शुरू हुई, जो अब तक दर्ज सबसे व्यापक और गंभीर प्रवाल विरंजन के रूप में चिह्नित करती है।
अन्य संबंधित जानकारी
राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना 3 (GCBE 3) 2014-2017 की अवधि के दौरान देखे गए पिछले विरंजन से 11% अधिक है। वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना 3 (GCBE3) के दौरान, दुनिया की 65.7% से ज़्यादा प्रवाल भित्तियों को विरंजन-स्तर के ताप तनाव का सामना करना पड़ा। यह घटना अब तक की सबसे लंबी और सबसे ज़्यादा नुकसानदायक घटना है ।
वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना 4 के प्रभाव
- वर्तमान में चल रहे वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना 4 ने मात्र 20 महीनों में वैश्विक भित्ति क्षेत्रों के 77% को प्रभावित किया है, जो कि इसके पूर्ववर्ती वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना 3 की तीन वर्ष की अवधि के विपरीत है।
- रिपोर्ट के अनुसार 74 देशों में बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन हो रहा है तथा पलाऊ, गुआम और इजराइल जैसे क्षेत्रों में इसके प्रभाव की पुष्टि हुई है।
- कैरीबियाई और दक्षिण चीन सागर में उच्च ताप तनाव का स्तर जारी है, जिससे संकट और भी गंभीर हो गया है।
- वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना 4 की तीव्र वृद्धि से पता चलता है कि प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र अब अभूतपूर्व तनाव का सामना कर रहा है, जिसका जैव विविधता और समुद्री स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
विशेषज्ञ की राय:
- व्यापक प्रवाल विरंजन की प्रतिक्रिया में, संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों ने कोलंबिया के कैली में आगामी जैव विविधता सम्मेलन (COP16) के दौरान प्रवाल भित्तियों पर एक विशेष आपातकालीन सत्र आयोजित करने का आह्वान किया है।
- समुद्र का वर्तमान तापमान बना रहा, तो विश्व को दीर्घकालिक वैश्विक विरंजन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
प्रवाल पर अल नीनो-दक्षिणी दोलन का प्रभाव
- ऐतिहासिक रूप से, प्रभावशाली अल – नीनो घटनाएं गंभीर विरंजन से जुड़ी रही हैं; हाल की घटनाओं से से ज्ञात होता है कि विरंजन ला नीना चरणों के दौरान भी उत्पन्न हो सकता है।
- यह बदलाव यह दर्शाता है कि महासागर का तापमान अब इतना अधिक हो गया है कि अल नीनो-दक्षिणी दोलन की स्थिति चाहे जो भी हो, बड़े पैमाने पर विरंजन हो सकता है।
वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना का अवलोकन
- वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (GCBE1) (1998): पहली वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना वर्ष 1998 में हुई थी, जो मुख्य रूप से प्रबल अल नीनो घटना से जुड़े उच्च समुद्री तापमान के कारण हुई थी।
- वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (GCBE2) (2010): दूसरी घटना वर्ष 2010 में हुई, जो पुनः अल नीनो की स्थिति के कारण बढ़ते समुद्री तापमान से प्रभावित थी। यह घटना कोरल ट्राएंगल क्षेत्र, विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया पर अपने प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण थी।
- वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (GCBE3) (2014-2017): तीसरी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक रही , जिसे अब तक की सबसे लंबी और सबसे गंभीर घटना माना गया है।
- वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना (GCBE4) (2023-वर्तमान): चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन घटना जनवरी 2023 में शुरू हुई।
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