संदर्भ:
हाल ही में चीन ने भारतीय सीमा के निकट तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर विश्व के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दी है।
परियोजना के बारे में:
यह जलविद्युत बांध हिमालय की एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा जहां ब्रह्मपुत्र नदी एक विशाल यू-टर्न लेकर भारत के अरुणाचल प्रदेश में बहती है।
बांध में कुल निवेश एक ट्रिलियन युआन ( 137 बिलियन डॉलर) से अधिक हो सकता है, जो वर्तमान सबसे बड़े थ्री गॉर्जेस बांध (31.765 बिलियन डॉलर) की लागत से चार गुना अधिक है।
अनुमान है कि इस बांध से प्रतिवर्ष 300 बिलियन किलोवाट-घंटे (kWh) बिजली का उत्पादन होगा, जो ‘ थ्री गॉर्जेस डैम ‘ से तीन गुना अधिक है, जिसे 88.2 बिलियन kWh उत्पादन के लिए डिज़ाइन किया गया था।
- थ्री गॉर्जेस बांध (गुरुत्व बांध) चीन के हुबेई प्रांत में यांग्त्ज़ी नदी (विश्व की तीसरी सबसे लंबी (6300 किमी) नदी) पर स्थित है।
चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-2025) और 2035 के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों में ब्रह्मपुत्र बांध को शामिल किया गया था जिसे 2020 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) द्वारा अनुमोदित किया गया था।
इससे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के लिए प्रतिवर्ष 20 अरब युआन (3 अरब डॉलर) की आय उत्पन्न हो सकती है।
चीन के विशेषज्ञों के अनुसार, बांध के आसपास के निचले क्षेत्र में 50 किमी की दूरी में 2,000 मीटर की ऊर्ध्वाधर गिरावट है जो लगभग 70 मिलियन किलोवाट संसाधनों का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका दोहन किया जा सकता है।
- भारत अरुणाचल प्रदेश के यिंगकिओंग में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का दूसरा सबसे बड़ा बांध लगभग 10 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) पानी संग्रहित करने की क्षमता वाला बांधबनाने की भी योजना बना रहा है।
बांध को लेकर भारत की चिंताएं
- ऊपरी निकटवर्ती राज्य होने के नाते, बांध पर चीन का नियंत्रण नीचे की ओर उपलब्ध जल की मात्रा को प्रभावित कर सकता है, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ सकती हैं।
- भारत ने चिंता जताई कि इस परियोजना से न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी बल्कि नदी के बहाव मार्ग में भी परिवर्तन आ सकता है।
- यह बांध चीन को जल प्रवाह को नियंत्रित करने तथा शत्रुता के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ लाने के लिए संभावित रूप से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने की अनुमति देगा।
- यह परियोजना भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकती है तथा दोनों देशों के बीच “जल युद्ध” की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।
ब्रह्मपुत्र नदी के बारे में
- यह नदी (2900 किमी) 5300 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय की कैलाश पर्वतमाला से निकलती है।
- यह तिब्बती हिमालय में 7,757 मीटर ऊंची चोटी, नमचा बरवा पर यू-टर्न लेती है।
- दक्षिणी तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जानी जाने वाली यह नदी हिमालय की घाटियों से होकर बहती है और अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है जहां इसे दिहांग कहा जाता है।
- सादिया के पश्चिम में दिहांग नदी दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ जाती है तथा लोहित और दिबांग नदियों से मिल जाती है।
- इनके संगम के बाद नदी का नाम ब्रह्मपुत्र हो जाता है।
- यह जमुना के रूप में बांग्लादेश से होकर गुजरती है, अंततः गंगा में विलीन होकर विशाल सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है।