संदर्भ:
23 जुलाई को क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की 118 वीं जयंती मनाई ।
चन्द्रशेखर आज़ाद के बारे में
- इनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा में हुआ था।
- इनके पिता पंडित सीताराम तिवारी माली थे और उनकी माता जगरानी देवी गृहिणी थीं।
- वे उच्च शिक्षा के लिए संस्कृत पाठशाला , वाराणसी, उत्तर प्रदेश गए ।
स्वतंत्रता संग्राम में चंद्रशेखर आज़ाद का योगदान
- वें पंद्रह वर्ष की आयु में असहयोग आंदोलन (1921) में शामिल हो गए।
- 15 साल की उम्र में आजाद को पहली सजा तब मिली जब अंग्रेजों ने उन्हें 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई। इसके बाद उन्होंने “आज़ाद” की उपाधि धारण की और चन्द्र शेखर आज़ाद के नाम से जाने गये।
- वे 1924 में क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) में शामिल हो गए ।
- HRA का गठन 1924 में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, सचिंद्र नाथ बख्शी, सचिंद्रनाथ सान्याल और जोगेश चंद्र चटर्जी के तत्वावधान में एक कट्टरपंथी क्रांतिकारी संगठन के रूप में किया गया था।
- 1925 में, उन्होंने HRA के संचालन के लिए धन जुटाने हेतु काकोरी षड्यंत्र में भाग लिया।
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘ काकोरी कांड’ का नाम बदलकर ‘ काकोरी ट्रेन एक्शन’ कर दिया है। - बाद में, 1928 में, भगत सिंह के समर्थन से, उन्होंने HRA का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) कर दिया गया।
- 1928 में, वे लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या में शामिल थे।
- 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस से घिरे होने के बावजूद उन्होंने पकड़े जाने की बजाय सवय अपनी जान देना स्वीकार किया, जिससे स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का परिचय मिला।
चन्द्रशेखर आज़ाद का दर्शन
- स्वतंत्रता संग्राम के बारे में उनके विचार बहुत बदल गए थे, उन्होंने अनेक बलिदानों के बावजूद स्वतंत्रता संग्राम को एक निश्चित आकार देने में क्रांतिकारी आंदोलन की विफलता पर विचार किया था।
- उन्होंने तर्क दिया कि क्रांतिकारी पार्टी के अधिकतम सदस्यों को किसानों और श्रमिकों के बीच काम करना चाहिए और उनमें से कुछ चुनिंदा लोगों को आंदोलन की भविष्य की जरूरतों के अनुसार सशस्त्र संघर्ष में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।