संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए अध्ययन में चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों (क्रेटरो) में जल युक्त बर्फ होने की संभावना को मजबूत करने के प्रमाण मिले हैं।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह अध्ययन इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के वैज्ञानिकों द्वारा आईआईटी कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया है।
- उपर्युक्त अध्ययन से पता चला है कि पहले कुछ मीटर में उपसतह बर्फ की मात्रा दोनों ध्रुवों की सतह पर मौजूद बर्फ की मात्रा से लगभग 5 से 8 गुना अधिक है।
- उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में दक्षिणी क्षेत्र की तुलना में जल युक्त बर्फ की मात्रा के दोगुनी होने की संभावना है।
- यह अध्ययन इस परिकल्पना का समर्थन करता है कि इम्ब्रियन काल के दौरान ज्वालामुखी गैस उत्सर्जन चंद्रमा के ध्रुवों पर इस उप-सतह बर्फ का प्राथमिक स्रोत हैं।
- जल बर्फ का वितरण संभवतः पूर्व की ज्वालामुखी गतिविधि (मैरे ज्वालामुखी) के अनुरूप है और इसके प्रभावी क्रेटरिंग पैटर्न से प्रभावित है।
महत्व:
- संसाधन की उपलब्धता: चंद्रमा पर जल युक्त बर्फ भविष्य के मिशनों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है। इस बर्फ को निकालने और उपयोग करने से पीने के लिए जल, जीवन रक्षक प्रणाली और संभवतः प्रणोदक उत्पादन के लिए जल उपलब्ध हो सकता है।
- लैंडिंग स्थल का चयन: बर्फ वितरण और गहराई पर सटीक डेटा, चंद्रमा पर वाष्पशील पदार्थों की खोज और निष्कर्षण पर केंद्रित भविष्य के मिशनों के लिए इष्टतम लैंडिंग स्थलों के चयन हेतु महत्वपूर्ण है।
- मानव की उपस्थिति: आसानी से उपलब्ध जल युक्त बर्फ की मौजूदगी चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति हेतु व्यवहार्यता को बल देती है।
क्रियापद्धति:
- शोध दल ने चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का विश्लेषण करने के लिए चंद्रयान पुनःप्रेक्षण यान (लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर) पर सात उपकरणों को लगाया था।
- इन उपकरणों में रडार, लेजर, ऑप्टिकल सेंसर, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर, पराबैंगनी स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर शामिल थे।
सत्यापन और भविष्य के निहितार्थ:
- यह अध्ययन चंद्रयान-2 के डेटा का उपयोग करके इसरो के पिछले शोध की पुष्टि करता है, जिसमें ध्रुवीय गड्ढों में जल युक्त बर्फ की संभावना को बताया था।
- व्यापक निष्कर्ष भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए इसरो की योजनाओं का समर्थन करते हैं, जो चंद्रमा पर मौजूद वाष्पशील पदार्थों के स्वस्थाने (इन-सीटू) अन्वेषण और उपयोग पर केंद्रित हैं।
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