संदर्भ:
हाल ही में,ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP) ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में अपने नेटवर्क का विस्तार कर 25 देशों को शामिल करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
अन्य संबंधित जानकारी:
GPAP में सात नए देश – अंगोला, बांग्लादेश, गैबॉन, ग्वाटेमाला, केन्या, सेनेगल और तंजानिया – इस सहयोगात्मक प्रयास में शामिल हुए हैं।
मई 2022 में – महाराष्ट्र राज्य, अपने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के माध्यम से, विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई भागीदारी (GPAP) में शामिल हो गया था।
ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP)
- GPAP को आधिकारिक तौर पर सितंबर 2018 में विश्व आर्थिक मंच द्वारा सतत विकास प्रभाव शिखर सम्मेलन की शुरुआत की गई थी।
- GPAP प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर प्रतिबद्धताओं को कार्रवाई में बदलने के लिए सरकारों, व्यवसायों और नागरिक समाज को एक साथ लाता है।
- GPAP का लक्ष्य प्लास्टिक अपशिष्ट रिसाव को रोकना और टिकाऊ सामग्रियों की ओर बदलाव को बढ़ावा देना है, जिससे पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होगा।
- ग्लोबल प्लास्टिक एक्शन पार्टनरशिप (GPAP) प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे बड़ा वैश्विक कार्यक्रम बन गया है, जो अब 1.5 अरब से अधिक लोगों को प्रभावित कर रहा है।
प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति
पर्यावरण में कृत्रिम प्लास्टिक उत्पादों का अतिशय संचय मानव आबादी के साथ-साथ वन्य जीवों के लिए भी समस्या उत्पन्न कर रहे हैं।
- प्लास्टिक एक कृत्रिम, कार्बनिक बहुलक है जो गैस और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों से बनाया जाता है।
नेचर जर्नल में प्रकाशित नए शोध में कहा गया है कि भारत प्रति वर्ष लगभग 9.3 मिलियन मीट्रिक टन (Mt) वैश्विक प्लास्टिक उत्सर्जन के लगभग पांचवें हिस्से के लिए जिम्मेदार है।
- इसमें भारत को उत्सर्जकों की सूची में शीर्ष स्थान पर तथा चीन को चौथे स्थान पर रखा गया है।
प्लास्टिक समुद्री कूड़े का सबसे बड़ा, सबसे हानिकारक और स्थायी अंश है, जो कुल समुद्री कचरे का कम से कम 85% है।
वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक कचरा 2000 में 156 मिलियन टन प्रति वर्ष से दोगुना होकर 2019 में 353 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गया है, जो तत्काल, सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
अनुमान है कि हर साल 20 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा पर्यावरण में पहुँच जाता है।
लगभग दो-तिहाई प्लास्टिक कचरा पांच साल से कम उपयोगी जीवन वाले प्लास्टिक से आता है, जिसमें 40% पैकेजिंग से, 12% उपभोक्ता वस्तुओं से और 11% कपड़े और वस्त्रों से आता है।
मार्च 2022 में, 175 देशों ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-5.2) के पांचवें सत्र में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव अपनाया, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय, कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन विकसित करना था (प्लास्टिक प्रदूषण का मसौदा प्रस्ताव)।