संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन|
संदर्भ: ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के अनुसार, चार दशकों के रिकॉर्ड में ग्रेट बैरियर रीफ ने अपने अधिकांश क्षेत्र में जीवित प्रवाल की सबसे बड़ी वार्षिक हानि का अनुभव किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- ऑस्ट्रेलियाई समुद्री विज्ञान संस्थान ने दर्ज किया है कि, जीवित प्रवाल आवरण एक वर्ष में दक्षिण में लगभग एक तिहाई, उत्तर में एक चौथाई और मध्य क्षेत्र में 14% तक सिकुड़ गया है, जो 39 वर्षों में सबसे अधिक वार्षिक प्रवाल नुकसान है।
- अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के प्रवाल भित्ति निगरानी के अनुसार, 2023 और 2024 में रिकॉर्ड वैश्विक गर्मी से चौथी और सबसे बड़ी सामूहिक प्रवाल विरंजन घटना हुई, जिससे ग्रेट बैरियर रीफ सहित दुनिया की लगभग 84% प्रवाल भित्तियाँ प्रभावित हुई हैं।
- विरंजन की घटना जनवरी 2023 में शुरू हुई और अप्रैल 2024 में इसे वैश्विक संकट घोषित कर दिया गया, क्योंकि इस दौरान 2014-2017 (जब 68.2% प्रवाल भित्तियाँ प्रभावित हुई थीं) की तुलना में अधिक प्रवाल विरंजन हुआ।
- मार्च में, ऑस्ट्रेलिया ने टोरेस जलडमरूमध्य और उत्तरी ग्रेट बैरियर रीफ में 281 भित्तियों का हवाई सर्वेक्षण किया, जिससे बड़े स्तर पर प्रवाल विरंजन का पता चला।
- उष्णकटिबंधीय प्रवाल 2014 में किए गए आकलनों में दर्शाए गए अनुमानों की तुलना में जलवायु परिवर्तन के प्रति और भी अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
- उष्णकटिबंधीय प्रवाल भित्तियों को 1.2°C तापमान वृद्धि पर अत्यधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, और ऐसे प्रमाण मौजूद हैं जो बताते हैं कि प्रवाल पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो सकते हैं और कई क्षेत्रों में उनकी संख्या शून्य के करीब गिर सकती है।
ग्रेट बैरियर रीफ
- ग्रेट बैरियर रीफ दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति प्रणाली है, जो प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड तट पर स्थित है। यह पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचना भी है।
- यह रीफ विविध प्रकार के समुद्री जीवन का समर्थन करता है, जिसमें 400 से अधिक प्रकार के प्रवाल, 1,500 प्रकार की मछलियाँ और 4,000 प्रकार के मोलस्क और कई अन्य समुद्री जीव शामिल हैं।
- यह वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह डुगोंग और बड़े हरे कछुए जैसी प्रजातियों का आवास है जोकि विलुप्त होने के कगार पर हैं।
- इस जटिल पारिस्थितिकी तंत्र में लगभग 2,100 अलग-अलग रीफ और 800 फ्रिंजिंग रीफ (fringing reefs) शामिल हैं, जो लाखों वर्षों में प्रवाल पॉलीप्स और हाइड्रोकोरल के कैल्शियम कार्बोनेट कंकालों से बनी हैं।
- यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण आकर्षण केंद्र है, हालाँकि इसे जलवायु परिवर्तन, प्रवाल विरंजन और आक्रामक प्रजातियों से खतरा है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण प्रवाल भित्तियों को एक “अद्वितीय और संकटग्रस्त प्रणाली” माना जाता है और यह पूर्व-औद्योगिक समय से 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक ग्लोबल वार्मिंग के लिए विशेष रूप से सुभेद्य हैं, जैसा कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी पैनल ने 2018 में घोषित किया था।
प्रवाल का महत्त्व
- जैव विविधता हॉटस्पॉट: प्रवाल भित्तियाँ पृथ्वी पर सबसे बड़े जैव विविधता वाले पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं| यद्यपि यह समुद्र तल के 1% से भी कम क्षेत्र को कवर करते हैं तथापि सभी समुद्री जीवन के अनुमानित 25% जीवों का आवास हैं।
- जलवायु प्रभाव: प्रवाल आवरण के उच्च आधार ने ग्रेट बैरियर रीफ पर गंभीर जलवायु प्रभावों को आंशिक रूप से कम करने में मदद की| ग्रेट बैरियर रीफ उत्तर-पूर्व ऑस्ट्रेलिया से 344,000 वर्ग किमी में फैला है।
- आर्थिक महत्व: प्रवाल भित्तियाँ पर्यटन के लिए एक प्रमुख आकर्षण हैं, जो गोताखोरी, स्नोर्कलिंग (snorkelling) और अन्य मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करती हैं।
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व: प्रवाल भित्तियों का कई तटीय समुदायों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है, जो अक्सर अपने परंपराओं, विश्वासों और आजीविका से घनिष्ठता से जुड़े होते हैं।
प्रवालों से संबंधित चिंताएँ
- अत्यधिक मछली पकड़ना: अत्यधिक मछली पकड़ने से खाद्य-जाल संरचना में बदलाव आ सकता है और इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं, जैसे चरने वाली मछलियों की संख्या में कमी आना जो प्रवालों को शैवाल की अतिवृद्धि से बचाए रखती हैं।
- कोरल हार्वेस्टिंग: एक्वेरियम व्यापार, आभूषण और अन्य कलाकृतियों के लिए कोरल हार्वेस्टिंग से विशिष्ट प्रजातियों का अत्यधिक संग्रहण, रीफ आवास का विनाश और जैव विविधता में कमी हो सकती है।
- भौतिक क्षति: तटीय विकास, ड्रेजिंग, उत्खनन, विनाशकारी मछली पकड़ने की प्रथाओं और उपकरणों, नावों के लंगर और आधार, और मनोरंजन के दुरुपयोग से होने वाली भौतिक क्षति या विनाश।
- महासागरीय अम्लीकरण: बढ़ती समुद्री अम्लता, प्रवालों को कैल्शियम कार्बोनेट बनाने के लिए आवश्यक लवणों की मात्रा को कम कर देती है, जिससे प्रवाल और भित्तियों का विकास धीमा हो जाता है, और कुछ प्रजातियाँ दूसरों की तुलना में अधिक प्रभावित होती हैं।
आगे की राह
- स्थानीय तनावों को कम करना: रीफ़ की सहनशीलता में सुधार के लिए तटीय प्रदूषण, अपवाह और मछली पकड़ने की अनुचित प्रथाओं को नियंत्रित करना।
- रीफ़ क्षेत्रों का संरक्षण: अति-मछली पकड़ने, प्रदूषण और भौतिक क्षति को कम करने के लिए समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार करना।
- सतत मत्स्य पालन: सतत मछली पकड़ने की प्रथाओं को बढ़ावा देना जिसमें रीफ़ मछलियों के दोहन का प्रबंधन और शैवाल नियंत्रण में मदद करने वाली प्रमुख शाकाहारी प्रजातियों की सुरक्षा करना शामिल है।
- जैव प्रौद्योगिकी: खनिज संचय के लिए बायो रॉक प्रौद्योगिकी और बाह्य-स्थल संरक्षण के लिए सुपर कोरल के चयनात्मक प्रजनन जैसी नवीन तकनीकों का उपयोग करना।