संदर्भ:

हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ में सेवारत न्यायमूर्ति एम.एस. सोनक गोवा में “लिविंग विल” को पंजीकृत करने वाले पहले व्यक्ति बने।

लिविंग विल (Living Will) क्या है’?

लिविंग विल एक कानूनी दस्तावेज है, जिसे व्यक्ति अपने जीवित रहते हुए बना सकता है, जिसमें वह भविष्य में गंभीर रूप से बीमार होने पर चिकित्सा उपचार के लिए अपनी प्राथमिकताओं (preferences for medical treatment) को रेखांकित करता है।

  • इसमें किसी के जीवित रहते या मृत्यु के बाद संपत्ति का निपटान शामिल नहीं है।
  • यह अंतिम वसीयत से भिन्न है, जो कि व्यक्ति की अपनी संपत्ति के संबंध में आशय की एक औपचारिक, कानूनी घोषणा है जिसे वे अपनी मृत्यु के बाद लागू कराना चाहते हैं।

यह दस्तावेज़ तब प्रासंगिक होता है जब व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित होता है और चिकित्सा देखभाल के संबंध में अपनी इच्छा बताने में असमर्थ हो।
गंभीर बीमारी से पीड़ित अवस्था में व्यक्ति जीवित तो रहता है, लेकिन उसे किसी प्रकार का भान नहीं होता है।

  • मूलतः, एक लिविंग विल व्यक्ति को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देती है कि यदि वह स्वयं निर्णय लेने में असमर्थ हो तो वह गरिमामय मर को प्राप्त कर सके।

पृष्ठभूमि:

वर्ष 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु को विधिक बना दिया, लेकिन इसके लिए कुछ विशिष्ट शर्तों को निर्धारित किया, जो है:

  • यदि व्यक्ति बाद में स्वयं निर्णय नहीं ले सकता है तो उसके पास एक “लिविंग विल” होना आवश्यक है, जो एक लिखित दस्तावेज है जिसमें उसकी चिकित्सा संबंधी प्राथमिकताओं का वर्णन होता हैं।
    निष्क्रिय इच्छामृत्यु:
     इसमें किसी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को कृत्रिम जीवन समर्थन (जैसे वेंटिलेटर) प्रदान करने से परहेज करके या उसे बंद करके जानबूझकर किसी को मृत्यु प्रदान करना शामिल है।
  • इस निर्णय से, स्थायी रूप से निष्क्रिय अवस्था में पहुँचे असाध्य बीमारी से ग्रस्त रोगियों की लिविंग विल को मान्यता मिल गई।
  • वर्ष 2023 में, उच्चतम न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की भागीदारी को इस प्रक्रिया से बाहर करके इच्छामृत्यु की प्रक्रिया को सरल बनाने हेतु अपने पूर्वर्ती निर्णय को संशोधित किया।
    ये दिशानिर्देश तब तक लागू रहेंगे जब तक संसद इस विषय पर कानून नहीं बना देती है।
  • गोवा कुछ हद तक उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के क्रियान्वयन को औपचारिक रूप देने वाला पहला राज्य है।

गोवा में लिविंग विल बनाने की प्रक्रिया:

  • इस दिशा-निर्देशों के अनुसार, लिविंग विल बनाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को एक विशिष्ट प्रारूप का पालन करना होगा और उसे दो साक्षी के सामने इसका मसौदा तैयार करना होगा।
  • इसके प्रारूप को तैयार करने के बाद इसे राजपत्रित अधिकारी या नोटरी द्वारा प्रमाणित कराना आवश्यक है। 
  • इसके बाद, इसे तालुका के मुख्य मामलतदार को भेजा जाना चाहिए, जो इसे जिला कलेक्टर द्वारा नामित नोडल अधिकारी के पास इसे सुरक्षित रखने हेतु भेज देगा।

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