संदर्भ:

छत्तीसगढ़ ने भारत में तीसरा सबसे बड़ा बाघ अभयारण्य, गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व स्थापित किया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नया टाइगर रिजर्व बनाने की लंबित परियोजना को मंजूरी दे दी है।
  • यह निर्णय तब आया है जब 15 जुलाई को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उस क्षेत्र को बाघ आरक्षित घोषित करने पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने पहले ही इस योजना को मंजूरी दे चुका है।
  • नया टाइगर रिजर्व घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य के क्षेत्रों को एकीकृत करके बनाया जाएगा, जिसमें मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर , कोरिया , सूरजपुर और बलरामपुर जिले शामिल होंगे ।
  • राज्य सरकार ने 2829.38 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया है।
  • नवीनतम बाघ गणना रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 17 है, जो 2014 में 46 थी।

महत्व

  • नये टाइगर रिजर्व के निर्माण से बाघों की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि यह क्षेत्र अधिक संरक्षित एवं परिरक्षित रहेगा, जो बाघों के लिए आदर्श प्राकृतिक आवास होगा।
  • टाइगर रिजर्व के निर्माण से इको-पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे तथा स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक लाभ में वृद्धि होगी।

भारत के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व

  • नागार्जुनसागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व (आंध्र प्रदेश): क्षेत्रफल 3296.31 वर्ग किलोमीटर।
  • असम का मानस टाइगर रिजर्व (असम): क्षेत्रफल 2837.15 वर्ग किलोमीटर।

टाइगर रिजर्व

  • यह संरक्षित क्षेत्र है जिसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 (संशोधन 2006) की धारा 38V के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है। 
  • राज्य सरकार बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिश पर टाइगर रिजर्व के अंतर्गत एक क्षेत्र को अधिसूचित करेगी।

अधिसूचना में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  • राज्य की ओर से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के अंतर्गत विस्तृत प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त कर ली गई है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण समुचित जांच के बाद राज्य को प्रस्ताव की सिफारिश करता है।
  • राज्य सरकार इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करती है।

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