संदर्भ: हाल ही में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की 19वीं मध्यावधि मंत्रिस्तरीय बैठक युगांडा की राजधानी कंपाला में “साझा वैश्विक समृद्धि के लिए सहयोग को गहरा करना” विषय पर आयोजित की गई।

अन्य संबंधित जानकारी

• युगांडा 2024-26 के कार्यकाल के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की अध्यक्षता कर रहा है और विकासशील देशों के बीच एकता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से इस उच्च-स्तरीय सम्मेलन के लिए सदस्य देशों की मेजबानी कर रहा है।

• भारत ने इज़राइल-फिलिस्तीनी संकट पर “दो-राष्ट्र” समाधान और आतंकवाद के “साझा खतरे” से निपटने के लिए गहन अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM)

• उत्पत्ति: इस विचार की कल्पना 1955 के बांडुंग सम्मेलन के दौरान की गई थी और इस आंदोलन की आधिकारिक शुरुआत 1961 के बेलग्रेड सम्मेलन में की गई थी।

• संस्थापक सदस्य: इसकी स्थापना में शामिल प्रमुख नेताओं में जवाहरलाल नेहरू (भारत), गमाल अब्देल नासिर (मिस्र) और जोसिप ब्रोज़ टीटो (यूगोस्लाविया) शामिल हैं।

• सदस्यता: 

  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन में 121 देश शामिल हैं, जिनमें से 54 अफ्रीका से, 39 एशिया से, 26 लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से तथा 2 यूरोप से हैं।
  • इस समूह में फिलिस्तीन, 17 पर्यवेक्षक राष्ट्र और 10 संगठन शामिल हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के लगभग 60% का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे यह संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी समूह बन गया है।

• प्रमुख सिद्धांत: 

  • गुटनिरपेक्षता: इस आंदोलन का केंद्रीय सिद्धांत तटस्थ रहना तथा शीत युद्ध के दौरान अमेरिका या सोवियत ब्लॉकों के साथ गठबंधन न करना है।
  • उपनिवेशवाद-विरोधी: संगठन सक्रिय रूप से साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, नवउपनिवेशवाद, नस्लवाद और सभी प्रकार के विदेशी प्रभुत्व का विरोध करता है।
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व: इसका एक प्रमुख लक्ष्य शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना और अहिंसक तरीकों से संघर्षों का समाधान करना है।
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