संदर्भ:
हाल ही में, द लैंसेट में प्रकाशित दो स्वतंत्र चरण III नैदानिक परीक्षणों से पता चला है कि इम्यूनोथेरेपी उन रोगियों में यकृत कैंसर (Liver Cancer) के विकास को धीमा कर सकती है जिनका इलाज सर्जरी से नहीं किया जा सकता है।
अध्ययन के प्रमुख बिन्दु
EMERALD-1 परीक्षण (चरण III) में 616 वैश्विक रोगियों में ट्रांसएर्टेरियल कीमो-एम्बोलाइज़ेशन (TACE) के साथ डुरवालुमैब (इम्यूनोथेरेपी) और बेवाकिज़ुमैब (रक्त वाहिका वृद्धि अवरोधक) के संयोजन का मूल्यांकन किया गया।
- इन रोगियों को पारीक्षण के दौरान या तो डुरवालुमाब + बेवाकिज़ुमैब, केवल डुरवालुमाब या प्लेसिबो नामक दवा दी गई।
परिणाम:
- डुरवालुमैब + बेवाकिज़ुमैब ने प्लेसबो की तुलना में यकृत कैंसर की प्रगति को 6.8 महीने तक विलंबित कर दिया।
- अकेले डुरवालुमैब से प्रगति में 1.8 महीने की देरी हुई।
- इससे पता चलता है कि संयोजन चिकित्सा अधिक प्रभावी है।
LEAP-012 परीक्षण (चरण III) में 480 वैश्विक रोगियों में TACE के साथ पेम्ब्रोलिज़ुमाब (इम्यूनोथेरेपी) और लेन्वाटिनिब (कैंसर वृद्धि अवरोधक) का मूल्यांकन किया गया।
परिणाम:
- प्लेसबो की तुलना में लेन्वाटिनिब + पेम्ब्रोलिज़ुमाब ने यकृत कैंसर की प्रगति को 4.6 महीने तक विलंबित कर दिया।
- यह अध्ययन पहला है जो TACE को प्रणालीगत उपचारों के साथ संयोजित करने पर प्रगति-मुक्त उत्तरजीविता में महत्वपूर्ण सुधार दर्शाता है।
- इससे यकृत कैंसर के उपचार के लिए देखभाल के एक संभावित नए मानक का मार्ग प्रशस्त करता है।
महत्व
ये दोनों परीक्षण महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये पिछले 20 वर्षों में लीवर कैंसर के रोगियों की मानक देखभाल में संभावित परिवर्तन का सुझाव देने वाले पहले परीक्षण हैं।
हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा या HCC (एक प्रकार का कैंसर जिसमें घातक कोशिकाएं यकृत की मुख्य कोशिकाओं, जिन्हें हेपेटोसाइट्स कहा जाता है, में विकसित होती हैं) यकृत कैंसर के अधिकांश मामलों के लिए जिम्मेदार है और यह विश्व स्तर पर कैंसर से होने वाली मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है।
- उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत में हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) की दर पुरुषों के लिए “0.7 से 7.5 और महिलाओं के लिए 0.2 से 2.2 प्रति वर्ष प्रति 100,000 जनसंख्या पर है
वर्तमान उपचार व्यवस्था
अभी तक, हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) का उपचार ट्रांसआर्टेरियल कीमो-एम्बोलिज़ेशन (TACE) द्वारा किया जाता है।
- यह एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है जिसमें कीमोथेरेपी दवाओं और कणों को कैथेटर के माध्यम से ट्यूमर में रक्त की आपूर्ति को अवरुद्ध करने के लिए इंजेक्ट किया जाता है।
- एक बार जब कण ट्यूमर में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं, जिससे उसे ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, तो कीमोथेरेपी दवाएं लंबे समय तक उच्च सांद्रता में सीधे ट्यूमर तक पहुंचाती है, जिससे अधिक कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं। चूंकि दवा शरीर के अन्य भागों तक उतनी नहीं पहुंचती, इसलिए मरीजों को कम दुष्प्रभाव का अनुभव होता है।
US FDA द्वारा लिवर कैंसर के लिए छह इम्यूनोथेरेपी विकल्पों को मंजूरी दी गई है।
- इम्यूनोथेरेपी कैंसर से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकती है, लेकिन हेपेटाइटिस संक्रमण की पृष्ठभूमि वाले रोगियों के लिए यह कारगर नहीं हो सकती है।
इम्यूनोथेरेपी
- यह एक प्रकार की थेरेपी है जो शरीर को कैंसर, संक्रमण और अन्य बीमारियों से लड़ने में मदद करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित या कम करने के लिए पदार्थों का उपयोग करती है।
- कुछ प्रकार की प्रतिरक्षा चिकित्साएं प्रतिरक्षा प्रणाली की केवल कुछ कोशिकाओं को ही लक्षित करती हैं, जबकि अन्य सामान्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं।
- इम्यूनोथेरेपी के प्रकारों में साइटोकाइन्स, वैक्सीन, बैसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) और कुछ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी शामिल हैं।
यकृत कैंसर
प्राथमिक यकृत कैंसर एक ऐसा रोग है जिसमें घातक (कैंसर) कोशिकाएँ यकृत के ऊतकों में ही विकसित हैं।
द्वितीयक यकृत कैंसर यकृत के बाहर शुरू होता है.
वयस्क प्राथमिक यकृत कैंसर के मुख्य प्रकार हैं:
- हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC): इस प्रकार का यकृत कैंसर दुनिया भर में कैंसर से संबंधित मौतों का तीसरा प्रमुख कारण है।
- पित्त नली का कैंसर (कोलांगियोकार्सिनोमा): यह तब होता है जब पित्त नलिकाओं में घातक कोशिकाएं विकसित हो जाती हैं।