संदर्भ:

पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखी।

अन्य संबंधित जानकारी

  • प्रधानमंत्री ने नदी-जोड़ो परियोजना के हिस्से के रूप में दौधन सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखी।
  • इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राज्य के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट (भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पार्क) का भी वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के बारे में 

इसमें केन नदी से अधिशेष जल को बेतवा नदी (यमुना की दोनों सहायक नदियों) में स्थानांतरित करने की परिकल्पना की गई है।

केन-बेतवा लिंक नहर की लंबाई 221 किलोमीटर होगी, जिसमें 2 किलोमीटर सुरंग भी शामिल होगी।

केन-बेतवा लिंक परियोजना के दो चरण हैं।

  • प्रथम चरण: इसमें दौधन बांध परिसर और इसकी सहायक इकाइयों, जैसे- निम्न-स्तरीय सुरंग, उच्च-स्तरीय सुरंग, केन-बेतवा लिंक नहर और बिजली घरों का निर्माण शामिल होगा।
  • दौधन बांध: यह केन नदी पर बना 77 मीटर ऊंचा बांध है। यह 2,031 मीटर लंबा बांध है, जिसमें से 1,233 मीटर हिस्सा मिट्टी का और बाकी 798 मीटर हिस्सा कंक्रीट का होगा।
  • चरण-I का वित्तपोषण स्वरूप 90% (केन्द्रीय अनुदान) और 10% (राज्य) है।
  • चरण II: इसमें तीन घटक शामिल होंगे – लोअर ओर्र बांध, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोटा बैराज। चरण II का वित्तपोषण स्वरूप 60% (केंद्रीय अनुदान), 30% (केंद्रीय ऋण) और 10% (राज्य का हिस्सा) है।

भारत सरकार ने 44,605 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें 39,317 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है और इसका कार्यान्वयन केंद्र और मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश राज्यों द्वारा विशेष प्रयोजन साधन (Special Purpose Vehicle-SPV) केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण (Ken-Betwa Link Project Authority-KBLPA) के माध्यम से संयुक्त रूप से किया जाएगा।

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना नदियों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (NPP) के तहत पहली परियोजना है, जिसे वर्ष 1980 में तैयार किया गया था। 

  • राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (1980 में तैयार) का लक्ष्य अधिशेष घाटी से पानी को कमी वाली घाटी में स्थानांतरित करना है।
  • इसमें दो घटक शामिल हैं:

(a) हिमालयी नदियों का विकास

(b) प्रायद्वीपीय नदियों का विकास

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को वर्ष 2008 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।

परियोजना की मुख्य विशेषताएं

इस परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर) भूमि को वार्षिक सिंचाई मिलने की उम्मीद है।

इससे मध्य प्रदेश में छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, विदिशा, सागर, शिवपुरी, दतिया और रायसेन जैसे जिलों को पेयजल (लगभग 62 लाख लोगों को) और सिंचाई हेतु जल आपूर्ति होने की उम्मीद है। यह उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा, झांसी और ललितपुर जिलों सहित कई जिलों को भी लाभान्वित करेगा। 

इससे 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी। 

इस परियोजना से पानी की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र को काफी लाभ होगा।

  • बुंदेलखंड भारत का एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र है जिसमें उत्तर प्रदेश के सात जिले (झांसी, जालौन, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा तथा चित्रकूट) और मध्य प्रदेश के छह जिले (दतिया, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह और सागर) शामिल हैं।
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