संदर्भ:
हाल ही में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने इकोमार्क योजना, 1991 का स्थान लेने वाले नए इकोमार्क नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह पहल LiFE (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) मिशन के तहत सतत् उपभोग और पर्यावरण अनुकूल उत्पादन को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
- नई इकोमार्क योजना का क्रियान्वयन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के द्वारा भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के सहयोग से किया जाएगा।
- इस योजना का उद्देश्य उत्पादों के लिए कठोर पर्यावरणीय मानदंड निर्धारित करना है, ताकि न्यूनतम पारिस्थितिकी प्रभाव सुनिश्चित करके उपभोक्ताओं के बीच सतत् उपभोग पैटर्न को बढ़ावा दिया जा सके।
इकोमार्क योजना के बारे में
इकोमार्क योजना एक स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी योजना है, जो भारतीय गुणवत्ता मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए विशिष्ट पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने वाली घरेलू और उपभोक्ता उत्पादों की लेबलिंग और प्रमाणन को बढ़ावा देती है।
उत्पादों के लिए इकोमार्क लेबल (Ecomark label) का महत्व
इकोमार्क उस उत्पाद को प्रदान किया जाता है जिसके पास भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 या गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के तहत भारतीय मानकों के अनुरूप अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) है, जो निर्धारित मानदंडों को पूरा करता है।
इकोमार्क लेबल प्राप्त करने हेतु निर्धारित मानदंडों –
- उत्पाद, जो प्रदूषण को कम करता हो या अपशिष्ट का उन्मूलन करके पर्यावरणीय जिम्मेदारी का प्रदर्शन करता हो,
- पुनर्चक्रित सामग्रियों से बने उत्पादों या पुनर्चक्रणीय उत्पादों को प्राथमिकता।
- गैर-नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को कम करता हो ।
- उत्पाद प्रदूषित ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को कम करता हो।
- उत्पाद के विनिर्माण में पर्यावरणीय हानिकारक सामग्रियों का न्यूनतम उपयोग होता हो।
- इस अधिसूचना के बाद, स्किन पाउडर, टूथ पाउडर, शैम्पू, साबुन, शेविंग क्रीम और लिपस्टिक सहित सभी विनिर्मित उत्पादों को BIS (बीआईएस) द्वारा निर्धारित सुरक्षा, गुणवत्ता और प्रदर्शन मानदंडों का अनुपालन करना होगा।
- विनिर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके सौंदर्य प्रसाधनों पर पर्यावरण अनुकूल लेबल लगा हो तथा उनमें कैंसरजन्य (Carcinogenic) या हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल न किया गया हो।”
योजना की मुख्य विशेषताएँ
- पर्यावरण मानक को अनिवार्य बनाना: यह योजना उत्पाद प्रमाणन के लिए विशिष्ट पर्यावरणीय मानदंडों को अनिवार्य बनाने के साथ-साथ विनिर्माण प्रक्रिया में पारिस्थितिकी पदचिह्न को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- उपभोक्ता को जागरूक बनाना : यह योजना उपभोक्ताओं को पर्यावरण अनुकूल सामग्री की खरीदारी करने का निर्णय लेने में मदद करने हेतु सटीक उत्पाद लेबलिंग और सूचना प्रसार पर बल दिया जाता है।
- संसाधन दक्षता को सुदृढ़ करना: यह योजना कम ऊर्जा खपत और इष्टतम संसाधन उपयोग को बढ़ावा देकर चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) के सिद्धांतों का समर्थन करता है।
- गुणवत्ता का आश्वासन: बीआईएस के साथ साझेदारी कठोर गुणवत्ता नियंत्रण और पर्यावरण मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करती है।
योजना के लाभ
- विनिर्माण में धारणीय प्रथाओं को प्रोत्साहन : यह योजना पर्यावरण अनुकूल मानकों एवं प्रमाणन को पुरस्कृत करके विभिन्न उद्योगों में उत्तरदायी विनिर्माण प्रक्रियाओं को बढ़ावा देगा।
- राष्ट्रीय पर्यावरणीय लक्ष्यों का समर्थन : यह प्रमाणन उपभोक्ता के व्यवहार को भारत की स्थिरता पहलों के अनुरूप करके व्यापक पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में मदद करेगा।
- संधारणीयता पर वैश्विक सहयोग को बढ़ावा : इको-लेबल राष्ट्रों के बीच धारणीय प्रथाओं और सहयोग को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को सुविधाजनक बनाएगा।
- हरित प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा : प्रमाणित उत्पादों की माँग कंपनियों को पर्यावरण अनुकूल मानकों को पूरा करने वाले नवीन समाधान विकसित करने के लिए प्रेरित करेगी।
- उत्तरदायी व्यावसायिक प्रथाओं को प्रोत्साहित करना: पर्यावरण-प्रमाणन व्यवसायों के लिए विपणन क्षमता को बढ़ाकर हरित बाजार में उपभोक्ता के विश्वास को बढ़ाएगी।
- उत्पादों के कार्बन पदचिह्नों को कम करना: यह योजना उपभोक्ताओं को कम प्रभाव वाले विकल्पों की ओर निर्देशित करके, पर्यावरण प्रमाणन समग्र कार्बन पदचिह्न को न्यूनतम करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।