संदर्भ: 

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है।  

अन्य संबंधित जानकारी  

  • इस आयोग का उद्देश्य लगभग 50 लाख केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन और 65 लाख पेंशनभोगियों के भत्तों में संशोधन करना है।  
  • अभी, इसके गठन के लिए किसी निश्चित तारीख की घोषणा नहीं की गई है।  
  • 8वें वेतन आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति शीघ्र की जाएगी।  

8वाँ वेतन आयोग

  • 8वें वेतन आयोग का मुख्य प्रयोजन सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करके उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाना है। साथ ही, इसका उद्देश्य देश के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देना भी है।   
  • हालाँकि, वर्ष 2026 में 7वें वेतन आयोग का अवधि समाप्त होगी फिर भी 8वें वेतन आयोग को समय से पहले ही मंजूरी दे दी गई है ताकि सिफारिशों की समीक्षा और क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त समय मिल सके।   

8वाँ वेतन आयोग निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा:

  • कर्मचारियों को मुद्रास्फीति से निपटने में मदद करने वाले महँगाई भत्ते (DA) जैसे संशोधित भत्ते, की समीक्षा करेगा।
  • सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए पेंशन समायोजन की समीक्षा ।

वर्तमान चिंताएँ और माँगें:

  • न्यूनतम वेतन, वर्तमान में पोषण विशेषज्ञ वालेस रुडेल एक्रोयड द्वारा तैयार किये गये फार्मूले पर आधारित है, जिसे 1957 में 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा अनुमोदित किया गया था।

यह फॉर्मूला अब पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह आधुनिक समय की जरूरतों को पूरा नहीं करता है, जैसे: –

  • इंटरनेट कनेक्टिविटी लागत,
  • बड़े पैमाने पर निजीकरण के कारण स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की लागत दोगुनी हो गई है।

केंद्रीय व्यापार संघों (Central Trade Unions) ने बदलते जीवन स्तर को प्रतिबिंबित करते हुए, “जीवन निर्वाह वेतन” और की परिभाषा को स्पष्ट करने की जरूरत पर चिंता व्यक्त की है। “जीवन निर्वाह पेंशन”

7वें वेतन आयोग

  • 7वें वेतन आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति ए.के. माथुर ने की थी।
  • 7वें वेतन आयोग के कारण वित्तीय वर्ष 2016-17 के व्यय में 1 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।  

7वें वेतन आयोग (वर्ष 2014 में गठित और वर्ष 2016 में लागू) के द्वारा किए गए महत्वपूर्ण बदलाव हैं:  

  • इसने सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन 7,000 रुपया से बढ़ाकर 18,000 रुपया कर दिया।
  • इसने अधिकतम वेतन को बढ़ाकर 2,50,000 रुपया कर दिया।  
  • सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को भी 3,500 रुपया से बढ़ाकर 9,000 रुपया कर दिया।

• सरकार ने अनुरोधित 3.68 के स्थान पर 2.57 का फिटमेंट फैक्टर (फिटमेंट फैक्टर वेतन और पेंशन की गणना के लिए उपयोग किया जाने वाला गुणक है) का उपयोग करने का निर्णय लिया, जिसका अर्थ है कि कर्मचारियों को उतनी बड़ी बढ़ोतरी नहीं मिली जितनी वे चाहते थे।

वेतन आयोग के बारे में

  • वेतन आयोग सरकार द्वारा गठित एक आयोग है, जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढाँचे की समीक्षा और सिफारिश करती है।  
  • इसकी सिफारिशें सुझावात्मक हैं, तथा सरकार पर वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है।  
  • वेतन आयोग का गठन लगभग प्रत्येक 10 वर्ष में किया जाता है।  
  • सामान्यतः, वेतन आयोग का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है।

उद्देश्य एवं लक्ष्य:

  • वेतन संरचना की समीक्षा करना: उचित पारितोषिक सुनिश्चित करने और मूल्यांकन करने के साथ-साथ वर्तमान में वेतन और पेंशन संरचना में बदलाव करने का सुझाव देना।  
  • प्रतिभा को आकर्षित करना और बनाये रखना: सरकारी नौकरियाँ कुशल व्यक्तियों के लिए आकर्षकता सुनिश्चित करना।  
  • समानता बनाए रखना: विभिन्न सरकारी विभागों में वेतन में निष्पक्षता और संतुलन सुनिश्चित करना।

मुख्य घटक:

  • मूल वेतन: वेतन का मुख्य घटक।
  • भत्ते: अतिरिक्त लाभ जैसे महँगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA), और यात्रा भत्ता (TA)। 
  • पेंशन: सरकारी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए प्रावधान।

• वर्ष 1947 से अब तक निम्नलिखित 7 वेतन आयोग का गठन किया जा चुका हैं:

  • पहला वेतन आयोग (मई, 1946 – मई, 1947): इसमें “जीवन निर्वाह परिश्रमिक” की अवधारणा पेश की गई। 
  • दूसरा वेतन आयोग (अगस्त, 1957 – अगस्त, 1959): इसमें ‘समाज के समाजवादी स्वरूप’ अवधारणा पेश की गई।  
  • तीसरा वेतन आयोग (अप्रैल, 1970 – मार्च, 1973): इसने वेतन संरचना में असमानताओं को का उल्लेख किया गया।  
  • चौथा वेतन आयोग (सितंबर, 1983 – दिसंबर, 1986): इसने प्रदर्शन-आधारित वेतन संरचना की अवधारणा पेश की।  
  • पाँचवाँ वेतन आयोग (अप्रैल, 1994 – जनवरी, 1997): यह सरकारी कार्यालयों के आधुनिकीकरण पर केंद्रित थी। 
  • छठा वेतन आयोग (अक्तूबर, 2006 – मार्च, 2008): इसने वेतन बैंड और ग्रेड वेतन की अवधारणा पेश की। 
  • सातवाँ वेतन आयोग (फरवरी, 2014 – नवंबर, 2016): इसने ग्रेड वेतन प्रणाली के स्थान पर एक नए वेतन मैट्रिक्स की सिफारिश करने के साथ-साथ भत्तों और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान केंद्रित किया।
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