संदर्भ:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘कृषि अवसंरचना कोष‘ (Agriculture Infrastructure Fund-AIF) के तहत वित्तपोषण हेतु केंद्रीय क्षेत्र योजना के विस्तार को मंजूरी दी है ताकि इसे और अधिक आकर्षक, प्रभावी और समावेशी बनाया जा सके।

कृषि अवसंरचना कोष योजना में प्रमुख सुधार

  • व्यवहार्य कृषि परिसंपत्तियाँ: सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं के अंतर्गत आने वाले बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु योजना के सभी पात्र लाभार्थियों को अनुमति देना। इससे कृषि उत्पादकता और स्थिरता में सुधार होने की उम्मीद है।
  • एकीकृत प्रसंस्करण परियोजनाएँ: इस योजना में प्राथमिक और द्वितीयक प्रसंस्करण दोनों की देखरेख करने वाली परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण शामिल होगा। हालाँकि, एकल द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाओं को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजनाओं के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।
  • पीएम कुसुम घटक-क: इस घटक को अब किसानों, किसान समूहों, किसान उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्थानीय परिषदों के लिए कृषि अवसंरचना कोष के साथ जोड़ा जा सकता है। इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा समाधान और कृषि अवसंरचना दोनों की सहायता करनी है। 
  • एनएबी संरक्षण (NABSanrakshan): सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी निधि ट्रस्ट (CTTMSE) के अतिरिक्त, एनएबी संरक्षण ट्रस्टी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से किसान उत्पादक संगठनों को कृषि अवसंरचना कोष ऋण गारंटी प्रदान की जाएगी, जिससे वित्तीय सुरक्षा में सुधार होगा और कृषि परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। 

विस्तारित कृषि अवसंरचना कोष योजना का महत्व

  • इसके नवीनतम विस्तार का उद्देश्य उत्पादकता को और बढ़ावा देना, कृषि आय में वृद्धि करना तथा सतत कृषि अवसंरचना के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है।
  • कृषि अवसंरचना कोष योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में 8.19 लाख से अधिक नौकरियां सृजित की हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि और कृषि विकास में योगदान मिला है।

कृषि अवसंरचना कोष क्या है?

  • यह वर्ष 2020 में शुरू की गई केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है।

भागीदार संस्थाएँ:

  • इसमें सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम इसमें भाग ले सकते हैं।
  • उन्हें अनिवार्य रूप से नाबार्ड या कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होगा। नाबार्ड पात्र ऋणदाताओं को पुनर्वित्त सहायता प्रदान कर सकता है।

उद्देश्य:

  • फसल-उपरांत प्रबंधन और सामुदायिक कृषि अवसंरचना के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण उपलब्ध कराना।
  • प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से कृषि बुनियादी ढांचे में सुधार करना।
  • पहुँच: परियोजनाओं में आपूर्ति श्रृंखला सेवाएं (ई-मार्केटिंग, गोदाम, साइलो, पैक-हाउस), कोल्ड चेन सुविधाएं, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, जैविक निविष्टि उत्पादन और स्मार्ट कृषि बुनियादी ढांचा शामिल हैं।

प्रमुख विशेषताऐं:

  • इसमें 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर 7 वर्षों तक 3% वार्षिक ब्याज अनुदान मिलेगा।
  • कर्जदारों को परियोजना लागत का कम से कम 10% योगदान देना होगा।
  • प्रत्येक इकाई को 25 परियोजनाओं तक ऋण प्राप्त हो सकता है, जिनमें से प्रत्येक को 2 करोड़ रुपये तक का ऋण प्राप्त हो सकता है।
  • ह योजना एक स्थान पर कई परियोजनाओं के लिए खुली है, जिसमें प्रति स्थान कुल 2 करोड़ रुपये की सीमा है।
  • निजी संस्थाओं के लिए 25 परियोजनाओं की सीमा है; राज्य एजेंसियों, सहकारी समितियों और इसी तरह के संगठनों के लिए ऐसी कोई सीमा नहीं है।

अवधि:

  • यह योजना वर्ष 2020-21 से वर्ष 2032-33 तक क्रियाशील है।
  • ऋण वितरण वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक पूरा किया जाना है।

समावेशिता:

  • अनुदान का 24% अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों को आवंटित (अनुसूचित जाति के लिए 16%, अनुसूचित जनजाति के लिए 8%) किया जाना है।
  • समावेशी लाभ सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं और अन्य कमजोर वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी।

अनुमति नहीं: 

  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम इस योजना के अंतर्गत सीधे तौर पर पात्र नहीं हैं, लेकिन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के अंतर्गत उनके द्वारा प्रायोजित परियोजनाएं पात्र हैं।

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