संदर्भ:

दावोस में विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में एक प्रस्तुति के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रति वर्ष 2.6 ट्रिलियन से 4.4 ट्रिलियन डॉलर तक योगदान कर सकता है। 

प्रस्तुति के मुख्य बिन्दु                                                                     

डिजिटल डिवाइड और प्रौद्योगिकी तक पहुंच

  • विश्वभर में 2.5 अरब से अधिक लोगों के पास अभी भी इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी में बाधा उत्पन्न हो रही है।
  • विश्व की एक तिहाई जनसंख्या की वर्तमान डिजिटल दुनिया में वित्त और बैंकिंग, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी आवश्यक ऑनलाइन सेवाओं तक पहुंच नहीं है।    
  • संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी 24 मिलियन लोग हाई-स्पीड इंटरनेट से वंचित हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में पूरी तरह से शामिल होने की उनकी क्षमता सीमित हो जाती है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मूल्य सृजन के तीन चरण: तीन अलग-अलग चरणों में मूल्य सृजन होगा –       

  • प्रथम चरण: हार्डवेयर विक्रेता वर्तमान में एआई प्रगति से लाभान्वित हो रहे हैं।           
  • द्वितीय चरण: बड़ी कंपनियां, या “सुपर स्केलर्स” (जैसे, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, ओरेकल), कनेक्टिविटी और कंप्यूटिंग शक्ति की व्यापक उपलब्धता के माध्यम से लाभान्वित होंगी।
  • तृतीय चरण: इससे उन एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर विक्रेताओं को लाभ होगा जो अपने मौजूदा उत्पादों में AI और GenAI समाधानों को एकीकृत करते हैं।        

क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

  • एआई पीढ़ीगत संपदा के स्रोत के रूप में काम कर सकता है, लेकिन यह एआई सिस्टम में पूर्वाग्रहों को दूर करने और एआई टूल तथा शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने पर निर्भर करता है। 
  • एआई को आर्थिक विभाजनकारी बनने से रोकने के लिए, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए समान विकास सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।   
  • देशों के भीतर और देशों के बीच डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना, एआई शिक्षा, उपकरण और आवश्यक बुनियादी ढांचे तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • सरकारों, उद्योगों और संगठनों को संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए ताकि एआई की पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए, इसे आर्थिक सशक्तिकरण का साधन बनाया जा सके न कि इससे मौजूदा असमानताएँ और बढ़ें। 

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उन्नति के लिए हालिया वैश्विक पहल

अमेरिका की “स्टारगेट” पहल: यह 500 बिलियन डॉलर की एक पहल है जिसका उद्देश्य अगले चार वर्षों में अमेरिका में एआई इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है। इसमें पूरे अमेरिका में बड़े पैमाने पर डेटा सेंटर और कैंपस का निर्माण शामिल है।

  • यह भारत के लिए भी अमेरिका के साथ साझेदारी को बेहतर करके अपनी एआई महत्वाकांक्षाओं को गति देने का एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करता है।
  • भारत महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी (iCET) समझौते और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पैरिटी (IPEF) का लाभ उठाकर प्रौद्योगिकियों का सह-विकास कर सकता है और अपनी घरेलू AI क्षमताओं को बढ़ा सकता है।  

इंडियाAI मिशन: मार्च 2024 में लॉन्च किए गए इस मिशन का उद्देश्य एआई में भारत के वैश्विक नेतृत्व को सुदृढ़ करना और समाज के सभी वर्गों तक एआई के लाभों को पहुँचाना है।  

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंडियाAI मिशन के लिए 10,300 करोड़ रुपये से अधिक धन के आवंटन को मंजूरी दी है।     

डिजिटल यूरोप कार्यक्रम: इसके तहत यूरोपीय आयोग ने डिजिटल प्रौद्योगिकी अनुसंधान और बाजार परिनियोजन के बीच की खाई को पाटने के लिए €1 बिलियन समर्पित किया है।

  • यह पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराता है: सुपरकंप्यूटिंग; कृत्रिम बुद्धिमत्ता; साइबर सुरक्षा; उन्नत डिजिटल कौशल; तथा अर्थव्यवस्था और समाज में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के व्यापक उपयोग को सुनिश्चित करना।                            
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