संदर्भ:

सरकार कायाकल्प और शहरी परिवर्तन हेतु अटल मिशन (अमृत) 2.0 के लिए 100-दिवसीय एजेंडे पर काम कर रही है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • अमृत 2.0 के अंतर्गत, शहरों में 5,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू होने की संभावना है, जिनमें जलापूर्ति, सीवेज शोधन एवं जल निकायों और पार्कों का पुनरुद्धार शामिल होगा।

100 दिवसीय एजेंडे के तहत निम्न शामिल:

  • कुल 500 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) क्षमता वाले सीवेज शोधन संयंत्र (STP) चालू किए जाएंगे, जिससे लगभग 6 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा।
  • 2 लाख घरों के लिए 150 एमएलडी जल उपचार संयंत्र।
  • सरकार के 100 दिवसीय एजेंडे में लंबे समय से लंबित प्रस्तावों को मंजूरी देना भी शामिल है, जिसमें दिल्ली मास्टर प्लान 2041 की अधिसूचना और 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार देश में 1,000 करोड़ रुपये प्रत्येक की लागत से आठ ग्रीनफील्ड शहरों का विकास शामिल है।

अमृत

  • इसे 25 जून, 2015 को देश भर के चुनिंदा 500 शहरों और कस्बों में शुरू किया गया था।
  • यह जल आपूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, स्टार्मवाटर निकासी, हरित स्थानों और पार्कों तथा गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन पर केंद्रित है।

अमृत मिशन 2.0

  • अमृत मिशन को 05 वर्षों (2021-22 से 2025-26) की अवधि के लिए अमृत 2.0 के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है, जिसे 01 अक्टूबर, 2021 को शुरू किया गया था और अमृत 1.0 की चल रही परियोजनाओं को 31 मार्च, 2023 तक केंद्रीय सहायता से वित्तपोषित किया गया।
  • देश के सभी व्यवस्थित शहरों में सभी घरों में कार्यात्मक नलों के माध्यम से जलापूर्ति की सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना तथा अमृत योजना के प्रथम चरण में शामिल 500 शहरों में सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन की पहुँच प्रदान करना।
  • यह प्रत्येक शहर के लिए सिटी वाटर बैलेंस प्लान (CWBP) के विकास के माध्यम से जल की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा, जिसमें शोधित सीवेज के पुनर्चक्रण/पुनः उपयोग, जल निकायों के पुनरुद्धार और जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

अमृत 2.0 के अन्य घटक निम्न हैं:

  • जल के न्यायसंगत वितरण, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग, जल निकायों के मानचित्रण को सुनिश्चित करने तथा शहरों/कस्बों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए पेयजल सर्वेक्षण।
  • जल संरक्षण के बारे में जनता में जागरूकता फैलाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान।
  • जल के क्षेत्र में नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए जल हेतु प्रौद्योगिकी उप-मिशन।

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