संदर्भ:
काकोरी ट्रेन एक्शन के वर्ष भर चलने वाले शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में ‘काकोरी शौर्य गाथा एक्सप्रेस’ चलाई जाएगी।
अन्य संबंधित जानकारी
- उत्तर प्रदेश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं को दर्शाने वाली 12 कोच वाली ‘काकोरी शौर्य गाथा एक्सप्रेस’ ट्रेन चलाने के लिए रेलवे के साथ समझौता किया है।
- यह पहल वर्ष भर चलने वाले शताब्दी समारोह (काकोरी शताब्दी महोत्सव) का हिस्सा है।
- ट्रेन द्वारा शामिल किए गए सभी गंतव्यों पर भारतेन्दु नाट्य अकादमी नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन करेगी।
- ट्रेन में काकोरी ट्रेन एक्शन के रिकॉर्ड और इसके 3डी संवर्धित वास्तविकता (AR)/ आभासी वास्तविकता (VR) मॉडल भी प्रदर्शित किए जाएंगे।
काकोरी ट्रेन एक्शन
- काकोरी ट्रेन एक्शन या काकोरी ट्रेन कांड एक सशस्त्र कार्रवाई थी जो 9 अगस्त, 1925 को मध्य उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन पर घटित हुई थी।
- यह घटना लखनऊ से लगभग 16 किलोमीटर दूर काकोरी कस्बे में घटी, जहां रेलगाड़ी जा रही थी।
- यह कांड (डकैती) संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) के काकोरी शहर में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन द्वारा किया गया था।
- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन साम्राज्यवादी सरकार के खिलाफ सशस्त्र कार्रवाई में विश्वास रखता था, लेकिन उन्होंने धन जुटाने के लिए इस डकैती की योजना बनाई, जिसकी उन्हें सख्त जरूरत थी।
- 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आज़ाद, मन्मथनाथ गुप्ता, राजेंद्र लाहिड़ी और अन्य सहित हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने लखनऊ के पास काकोरी में एक ट्रेन को रोका और गार्ड के कोच से सरकारी नकदी लेकर चले गए।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन
- उत्तर प्रदेश और पंजाब के क्रांतिकारियों ने वर्ष 1924 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) की स्थापना की।
- इसका उद्देश्य “एक संगठित और सशस्त्र क्रांति द्वारा संयुक्त राज्य भारत का एक संघीय गणराज्य स्थापित करना” था।
- इसके संस्थापकों में राम प्रसाद बिस्मिल अशफाकउल्ला खान, सचिंद्र नाथ बख्शी, सचिंद्रनाथ सान्याल और जोगेश चंद्र चटर्जी शामिल हैं।
- वर्ष 1928 के आसपास, नई दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह और सुखदेव थापर उन व्यक्तियों में से थे जिन्होंने इसका नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की, जिसे एचएसआरए (HSRA) के नाम से भी जाना जाता है।
- काकोरी ट्रेन एक्शन (1925) में शामिल होने के कारण राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और रोशन सिंह को फांसी दी गई, जबकि अन्य को अलग-अलग जेल की सजा सुनाई गई।