संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 1: स्वतंत्रता संग्राम – इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से महत्वपूर्ण योगदानकर्ता/योगदान।
संदर्भ:
हाल ही में, भारत में स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हुए काकोरी ट्रेन एक्शन की 100वीं वर्षगांठ मनाई गई।
काकोरी ट्रेन एक्शन
- काकोरी रेल षडयंत्र, जिसे अक्सर काकोरी ट्रेन डकैती के रूप में जाना जाता है, 9 अगस्त, 1925 को हुआ था।
- हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्यों, जिनमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, चंद्रशेखर आज़ाद, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह शामिल थे, ने उत्तर प्रदेश के काकोरी रेलवे स्टेशन के पास सहारनपुर-लखनऊ लाइन पर 8-डाउन ट्रेन को रोका और गार्ड के डिब्बे से ब्रिटिश खजाने की नकदी जब्त कर ली।
- 2021 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने काकोरी रेल डकैती या षडयंत्र का नाम बदलकर काकोरी रेल एक्शन कर दिया, ताकि 1925 की कार्रवाई में शामिल क्रांतिकारियों को षड्यंत्रकारी के रूप में चित्रित करने के बजाय, उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के रूप में सम्मानित किया जा सके।
उद्देश्य:
- इस डकैती का मुख्य उद्देश्य भारतीयों से वसूले जाने वाले भारी कर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना तथा उस धन का उपयोग हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) को वित्तपोषित करने के लिए करना था, जिससे ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रहार किया जा सके तथा भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति के आंदोलन के लिए जनता का समर्थन जुटाया जा सके।
- इस साहसिक कार्य का उद्देश्य न केवल आंदोलन के लिए धन जुटाना था, बल्कि ब्रिटिश शोषण के विरुद्ध एक राजनीतिक संदेश भेजना तथा उनके उद्देश्य के प्रति ध्यान आकर्षित करना भी था।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)
- HRA एक भारतीय क्रांतिकारी संगठन था जिसकी स्थापना अक्टूबर 1924 में सचिन्द्र नाथ सान्याल, राम प्रसाद बिस्मिल और अन्य लोगों द्वारा असहयोग आंदोलन समाप्त होने के बाद सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से स्वतंत्र भारत प्राप्त करने के लिए की गई थी।
- भगत सिंह जैसे प्रमुख व्यक्ति भी इससे जुड़े थे, और बाद में 1928 में अपने नाम में “सोशलिस्ट” जोड़ने के बाद यह समूह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) बन गया।
केस ट्रायल:
- ब्रिटिश सरकार ने गहन जाँच शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश षड्यंत्रकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
- यह मुकदमा 1925 और 1926 के बीच चला, जिसमें 29 अभियुक्तों पर डकैती और राजद्रोह के आरोप लगाए गए।
- हल्की सजा के बदले में दो व्यक्ति अभियोजन पक्ष के गवाह बन गए।
- इस मुकदमे के परिणामस्वरूप राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सजा सुनाई गई।
- बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान और राजेंद्र लाहिड़ी को दिसंबर 1927 में फांसी दे दी गई।
- सचिंद्रनाथ सान्याल और सचिंद्रनाथ बख्शी को निर्वासित कर दिया गया, जबकि अन्य को 10 से 14 साल तक की जेल की सजा मिली।
- चंद्रशेखर आज़ाद गिरफ्तारी से बचते रहे और 1931 में अपनी शहादत तक क्रांतिकारी गतिविधियाँ जारी रखीं।
Sources:
https://ddindia.co.in/2025/08/pm-modi-cm-yogi-pay-tribute-to-revolutionaries-on-centenary-of-kakori-rail-conspiracy/ https://www.business-standard.com/amp/india-news/pm-modi-pays-tribute-to-kakori-martyrs-on-100th-anniversary-of-revolt-125080900856_1.html https://www.etvbharat.com/en/!bharat/a-century-of-inspiration-martyrdom-and-the-enduring-legacy-of-kakori-heroes-enn25080902074