संदर्भ:

हाल ही में, कर्नाटक सरकार ने राज्य में ‘हमारे बारह’ नामक हिंदी फिल्म के स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • राज्य सरकार ने राज्य में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के बिगड़ने की संभावना के आधार पर फिल्म और इसके ट्रेलर के स्क्रीनिंग पर दो सप्ताह या आगामी सूचना तक प्रतिबंध लगा दिया है।
  • राज्य सरकार ने कर्नाटक सिनेमा विनियमन अधिनियम 1964 की धारा 15(1) और 15(5) के तहत फिल्म के प्रदर्शन (स्क्रीनिंग) पर रोक लगाने का आदेश पारित किया।
    यदि राज्य को लगता है कि किसी फिल्म के कारण राज्य में सद्भाव और शांति के बिगड़ने की संभावना है तो ये धाराएँ राज्य को किसी फिल्म के स्क्रीनिंग (प्रदर्शन) को रोकने का अधिकार देती हैं।
  • सरकार की चिंता मुख्य रूप से कुछ संवादों को लेकर है, जो विशिष्ट धार्मिक समूहों के सदस्यों को नाराज कर सकती हैं तथा अल्पसंख्यक समुदाय का अपमानजनक चित्रण प्रदर्शित कर सकती हैं।

इन मामलों में न्यायिक निर्णय

  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पहले फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी। हालाँकि, निर्माताओं द्वारा कुछ विवादास्पद संवादों को हटाने की पेशकश करने के बाद न्यायालय ने प्रतिबंध को हटा दिया।
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को प्रमाणित फिल्म की रिलीज को रोकने की अनुमति देना फिल्म निर्माताओं को बंधक बनाने संबंधी कार्यों को प्रोत्साहित करेगा, जो न्यायिक दृष्टांतों के अनुरूप है।
  • भारत के उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में इस विचार को खारिज कर दिया है कि विरोध या हिंसा की धमकी के कारण किसी पुस्तक, नाटक या फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
  • एस. रंगराजन बनाम पी. जगजीवन राम (1989) मामले में फिल्म ‘ओरे ओरु ग्रामथिले’ पर दिए गए महत्वपूर्ण निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रदर्शनों के डर या हिंसा की धमकियों के कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं जा सकता है।

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