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सामान्य अध्ययन-2: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, प्रवासी भारतीय|

संदर्भ:

गौरतलब है कि ऐतिहासिक श्रम सुधार के तहत सऊदी अरब ने कफ़ाला प्रणाली के नाम से प्रचलित 50 साल पुराने श्रमिक प्रायोजन कार्यक्रम को समाप्त कर दिया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • नई श्रम सुधार पहल के तहत:
    • विदेशी कामगार अपना अनुबंध पूरा करने या उचित सूचना देने के बाद वर्तमान नियोक्ता की अनुमति के बिना नौकरी बदल सकते हैं।
    • विदेशी कामगार अपने प्रायोजक से निकासी या पुनः प्रवेश परमिट प्राप्त किए बिना विदेश यात्रा कर सकते हैं।
    • अनुबंध-आधारित रोजगार प्रणाली का सृजन।
    • श्रम न्यायालयों और शिकायत तंत्रों के माध्यम से विदेशी श्रमिकों के लिए कानूनी सहारा।

कफ़ाला प्रणाली

  • 1950 के दशक में शुरू की गई कफ़ाला प्रणाली एक प्रायोजन-आधारित श्रम मॉडल थी।
  • इसने नियोक्ताओं को श्रमिक की कानूनी स्थिति, निवास, नौकरी की गतिशीलता और देश छोड़ने या कानूनी मदद लेने की क्षमता पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान किया।
  • इसमें प्रत्येक प्रवासी कामगार सीधे एक व्यक्तिगत प्रायोजक या कफ़ील से जुड़ा होता था, जिससे एक अत्यधिक प्रतिबंधात्मक रोजगार संरचना का निर्माण हुआ।

कफ़ाला प्रणाली से जुड़े प्रमुख मुद्दे

  • नियोक्ता नियंत्रण: इस प्रणाली ने नियोक्ताओं को कामगारों की कानूनी और आवासीय स्थिति तय करने का अधिकार प्रदान किया।
  • गतिशीलता पर प्रतिबंध: कामगारों को नौकरी बदलने या देश छोड़ने के लिए नियोक्ता की सहमति लेनी पड़ती थी।
  • कामगारों का शोषण: कई कामगारों को वेतन न दिए जाने, पासपोर्ट जब्त किए जाने और आवाजाही पर प्रतिबंध का सामना करना पड़ा।
  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएं: अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस प्रणाली को आधुनिक गुलामी का एक रूप बताया है, जिसमें महिला घरेलू कामगार सबसे अधिक असुरक्षित हैं।

महत्त्व

  • श्रम बाजार सुधार: इस उन्मूलन से श्रम बाजार उदार होगा, जिससे प्रवासी श्रमिकों को अधिक स्वतंत्रता और बेहतर कार्य स्थितियां प्राप्त होंगी।
    • इससे लगभग 1.34 करोड़ प्रवासी कामगारों के अधिकारों और जीवन में सुधार होगा। इन प्रवासियों में अधिकांश दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया (जिसमें भारत भी शामिल है) से हैं।
  • नौकरी के बेहतर अवसर: कंपनियों के बीच आसान आवाजाही से अधिक प्रतिस्पर्धी वेतन और पारिश्रमिक मिल सकता है।
  • महिला श्रमिकों का सशक्तिकरण: महिलाओं, विशेषकर घरेलू कामगारों को मजबूत सुरक्षा और कानूनी उपायों तक पहुंच से लाभ होगा।
  • विजन 2030 के साथ संरेखण: यह सुधार सऊदी अरब के विजन 2030 एजेंडे का समर्थन करता है ताकि उसकी अर्थव्यवस्था में विविधता लाई जा सके और निवेशक-अनुकूल वातावरण बनाया जा सके।
  • वैश्विक एकीकरण: श्रम मानकों में सुधार करके और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मानदंडों के साथ संरेखित करके, सऊदी अरब अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है और कुशल पेशेवरों और निवेशकों को आकर्षित करता है।

भारत के लिए प्रमुख निहितार्थ

  • सऊदी अरब में 25 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी निर्माण, घरेलू सेवाओं और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
  • इस सुधार से श्रम शोषण पर अंकुश लगाने, कार्य स्थितियों में सुधार लाने और भारत से कुशल पेशेवरों के लिए आवागमन सुगम बनाने में मदद मिलेगी।
  • इससे भारत-सऊदी अरब श्रम सहयोग प्रगाढ़ होने की उम्मीद है, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।

Sources:
Live Mint
India Today In
Hindustan Times

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