संदर्भ:
ऑर्गन-ऑन-चिप्स प्रौद्योगिकी, जो एक प्रकार की नई दृष्टिकोण विधि (new approach method-NAM) है, व्यक्तिगत चिकित्सा के लिए बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) (BioE3) नीति के लक्ष्य को बढ़ावा दे सकती है।
अन्य संबंधित जानकारी
- हाल ही में, भारत सरकार ने जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए ‘बायोई3 नीति’ (‘BioE3 policy’) की घोषणा की।
- नीति का एक मुख्य लक्ष्य क्षेत्र सटीक चिकित्सा विज्ञान है, जिसमें व्यक्तिगत रोगियों की आवश्यकताओं के अनुसार दवाओं का विकास और प्रशासन शामिल है।
- परिशुद्ध चिकित्सा शास्त्र के क्षेत्र में, ‘नए दृष्टिकोण विधियों’ (NAM), जैसे- 3डी स्फेरोइड्स, ऑर्गेनोइड्स, बायोप्रिंटिंग और ऑर्गन-ऑन-चिप्स ने बड़ी संभावनाएं प्रकट की हैं।
‘नए दृष्टिकोण विधियां’ (NAMs)
- नए दृष्टिकोण विधियां कोई भी ऐसी तकनीक, कार्यप्रणाली, दृष्टिकोण या संयोजन होती है जिसका उद्देश्य दवा विकास में पारंपरिक पशु परीक्षण को प्रतिस्थापित या पूरक करना है।
ऑर्गन-ऑन-चिप्स
- ऑर्गन-ऑन-चिप एक छोटा उपकरण है जिसे नियंत्रित सूक्ष्म वातावरण में कुछ मानव अंग के गतिशील कार्यों को फिर से बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
ऑर्गन-ऑन-चिप्स प्रौद्योगिकी का महत्व
- पशु परीक्षण में कमी: ऑर्गन-ऑन-चिप प्रौद्योगिकी पशु परीक्षण के लिए एक अधिक सटीक विकल्प प्रदान करती है, जो पशु नमूनों की नैतिक और वैज्ञानिक सीमाओं को संदर्भित करती है।
- दवा परीक्षण की बेहतर सटीकता: नियंत्रित वातावरण में मानव अंगों के कार्यों की नकल करके, ऑर्गन-ऑन-चिप्स दवा की प्रभावकारिता और विषाक्तता का आंकलन करने के लिए अधिक विश्वसनीय मंच प्रदान करते हैं।
- तीव्र औषधि विकास: यह प्रौद्योगिकी औषधि विकास प्रक्रिया को कम कर सकती है, जिससे नई औषधियों को बाजार में लाने में लगने वाला समय कम हो जाएगा।
- लागत दक्षता: ऑर्गन-ऑन-चिप्स में दवा विकास की समग्र लागत को कम करने की क्षमता है, जो वर्तमान में प्रति दवा औसतन 2.3 बिलियन डॉलर है।
- नैदानिक परीक्षणों में उच्चतर सफलता दर: अधिक सटीक पूर्व नैदानिक परीक्षणों के साथ, ऑर्गन-ऑन-चिप्स उन औषधि तत्वों की संख्या को कम कर सकता है जो पशु मॉडलों में सफल होने के बाद मानव परीक्षणों में असफल हो जाते हैं।
- व्यक्तिगत चिकित्सा: यह प्रौद्योगिकी मानव-व्युत्पन्न कोशिकाओं को एकीकृत करके व्यक्तिगत उपचार में सहायता देता है, जिससे अलग-अलग रोगियों के लिए चिकित्सा पद्धति को अनुकूलित करने में मदद मिलती है।
- बढ़ता वाणिज्यिक मान: नए दृष्टिकोण विधियों में बढ़ता अनुसंधान एवं विकास निवेश ऑर्गन-ऑन-चिप प्रौद्योगिकी की बढ़ती बाजार क्षमता को दर्शाता है, जिसके वर्ष 2032 तक 1.4 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
ऑर्गन-ऑन-चिप्स को बढ़ावा देने के लिए हाल की वैश्विक पहल
- सीएन बायो नामक एक अंग्रेजी कंपनी ने ऑर्गन-ऑन-चिप प्रौद्योगिकी में अपने अनुसंधान एवं विकास का विस्तार करने के लिए उद्यम पूंजीपतियों से 21 मिलियन डॉलर जुटाए।
- अमेरिका में, विवोडाइन ने बड़े पैमाने पर स्वचालन और एआई को ऑर्गन-ऑन-चिप्स के साथ एकीकृत करने के लिए 38 मिलियन डॉलर का प्रारंभिक कोष जुटाया।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने एफडीए आधुनिकीकरण अधिनियम 2.0 (2022) पारित किया है, जो शोधकर्ताओं को जहां भी लागू हो, उपयुक्त विकल्प के रूप में ऑर्गन-ऑन-चिप्स को विकसित करने, उपयोग करने और योग्यता प्रदान करने की अनुमति देता है, जिसमें दवा विकास के पूर्व-नैदानिक चरणों में दवाओं का परीक्षण करना भी शामिल है।
ऑर्गन-ऑन-चिप्स को बढ़ावा देने की भारत की पहल
- वर्ष 2023 में, भारत ने नई दवाओं का मूल्यांकन करते समय पशु परीक्षण से पहले और उसके साथ मानव ऑर्गन-ऑन-चिप्स और अन्य नए दृष्टिकोण विधियों के उपयोग की अनुमति देने के लिए नई दवाओं और नैदानिक परीक्षण नियम 2019 में संशोधन किया।
- वर्तमान में, 80 से अधिक प्रयोगशालाएं नए दृष्टिकोण विधियों पर काम कर रही हैं, जिसमें विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए त्रिआयामी (3D) संस्कृति आदर्श विकसित करना भी शामिल है।
बायोई3 नीति
- हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बायोई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) (BioE3) नीति को मंजूरी दी।
- इसका उद्देश्य भारत सरकार की राष्ट्रीय पहलों, जैसे- ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के साथ संरेखित ‘उच्च प्रदर्शन जैव विनिर्माण को बढ़ावा देना’ है।
नीति के छह विषयगत क्षेत्र निम्न हैं:
- जैव-आधारित रसायन और एंजाइम
- कार्यात्मक खाद्य पदार्थ और स्मार्ट प्रोटीन
- रिशुद्धता जैवचिकित्सा
- जलवायु अनुकूल कृषि
- कार्बन संयोजन और उसका उपयोग
- भविष्योन्मुखी समुद्री एवं अंतरिक्ष अनुसंधान