संदर्भ:
हाल ही में, कृषि से संबंधित संसद की स्थायी समिति की एक रिपोर्ट में ऑपरेशन ग्रीन की धीमी प्रगति पर चिंता व्यक्त की गई क्योंकि इसके लिए आवंटित धनराशि खर्च नहीं की गई और परियोजनाएं अधूरी रह गई।
अन्य संबंधित जानकारी:
- समिति ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से इन चुनौतियों का समाधान करने का आग्रह किया है, ताकि योजना अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में संभावित विफलता से बच सके।
- योजना का खराब प्रदर्शन और किसानों के समक्ष आने वाले संकट, योजना के उद्देश्यों को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों को उजागर करते हैं।
ऑपरेशन ग्रीन्स का खराब क्रियान्वयन:
- वित्तीय वर्ष 2024-25 हेतु सरकार ने इस योजना के लिए 173.40 करोड़ रुपये आवंटित किए।
- 11 अक्टूबर, 2024 तक आवंटित बजट का केवल 59.44 करोड़ रुपये (34.27%) ही उपयोग किया जा सका था।
- 65.73% धनराशि खर्च न होने के कारण व्यय विभाग द्वारा निर्धारित व्यय सीमा को पूरा करने के संबंध में चिंताएं व्यक्त की गई हैं।
- इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2024-25 तक 10 परिचालन परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन 14 अक्टूबर, 2024 तक केवल 3 परियोजनाएं ही पूरी हो पाईं।
- वित्त की देरी और कम उपयोग ने योजना की प्रभावशीलता और देश भर के किसानों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने की सरकार की क्षमता पर सवाल उठाए हैं।
किसानों के समक्ष आने वाली समस्याएं:
महाराष्ट्र में किसानों को प्याज केमूल्य में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है, अधिशेष आगमन और कम मांग के कारण केवल 15 दिनों में प्याज की कीमतों में लगभग 50% की गिरावट आई है।
निर्यात को बढ़ावा देने तथा अपने लाभांश को बढ़ाने के लिए 20% निर्यात शुल्क हटाने की मांग को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
- दिसंबर 2023 में सरकार ने घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। मई 2024 में प्रतिबंध हटा लिया गया लेकिन न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू कर दिया गया और निर्यात शुल्क में वृद्धि से किसानों के मुनाफे पर प्रभाव पड़ा है।
ओडिशा और झारखंड जैसे राज्य आलू की कमी से जूझ रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल से आपूर्ति पर प्रतिबंध के कारण और भी अधिक बढ़ गई है।
- असामयिक बरसात के कारण पश्चिम बंगाल में आलू के उत्पादन में गिरावट आई है और काली पाला(ब्लैक फ्रॉस्ट) पड़ने से इसकी कमी हो गई है।
ऑपरेशन ग्रीन्स
इसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य प्रमुख फसलों की कीमतों को स्थिर करना, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना तथा किसानों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करना है।
इसे किसानों के हितों को संतुलित करने हेतु उनकी उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने तथा उपभोक्ताओं के हितों को वर्ष भर किफायती मूल्य बनाए रखने हेतु तैयार किया गया था।
प्रारंभ में यह टमाटर, प्याज और आलू (TOP) पर केन्द्रित था, जिसका उद्देश्य कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को कम करना और भंडारण संबंधी बुनियादी ढांचे की स्थापना करना था।
वर्ष 2021-22 में इस योजना का विस्तार कर 22 शीघ्र खराब होने वाली फसलों को इसमें शामिल किया गया।
योजना दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार निम्नलिखित दो घटकों पर 50% सब्सिडी प्रदान की जाती है:
- परिवहन
- शीर्ष फसलों हेतु उपयुक्त भंडारण सुविधाओं को किराये पर लेना।