- 28 सितंबर, 2025 को, भारत की पहली बहु-तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला, एस्ट्रोसैट ने अभूतपूर्व खोजों और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए अमूल्य सेवा का एक दशक पूरा कर अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की।

एस्ट्रोसैट
- यह भारत की पहली समर्पित बहु-तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष वेधशाला है, जिसे विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्यमान, पराबैंगनी, निम्न और उच्च ऊर्जा एक्स-रे क्षेत्रों में एक साथ ब्रह्मांड के अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- उद्देश्य:
- परस्पर क्रियाशील द्विआधारी प्रणालियों में होने वाली उच्च-ऊर्जा परिघटनाओं का अध्ययन करना।
- हमारी आकाशगंगा से परे स्थित तारा प्रणालियों में तारों के निर्माण के क्षेत्रों और उच्च ऊर्जा प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।
- आकाश में नए क्षणिक एक्स-रे स्रोतों का पता लगाना।
- पराबैंगनी क्षेत्र में ब्रह्मांड का एक सीमित गहन क्षेत्र सर्वेक्षण करना।
मुख्य तथ्य:

एस्ट्रोसैट के विकास में शामिल संस्थान
- अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र (IUCAA), पुणे
- टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (TIFR), मुंबई
- भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIAP), बेंगलुरु
- रमन अनुसंधान संस्थान (RRI), बेंगलुरु
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: इसे कनाडा और यूनाइटेड किंगडम के दो संस्थानों का योगदान प्राप्त है।
एस्ट्रोसैट की उपलब्धियाँ:
- इसने लगभग 9 अरब प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगाओं से पराबैंगनी (UV) फोटॉनों का पता लगाया है।
- इसने आकाशगंगाओं के विलय, घूमते हुए ब्लैक होल और ब्रह्मांडीय घटनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का अवलोकन किया है।
- इसके डेटा का उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 57 से अधिक देशों के शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता है।
- इसने पृथ्वी से 56 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित फोर्नेक्स प्रोपेलर गैलेक्सी (NGC 1365) का अवलोकन किया है।