संदर्भ:
हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एशिया पावर इंडेक्स (API) 2024 संस्करण को जारी किया। इसके अनुसार, भारत आधिकारिक तौर पर जापान को पीछे छोड़कर एशिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है।
अन्य संबंधित जानकारी:
- एशिया पावर इंडेक्स के अनुसार, भारत ने रक्षा, कूटनीति और आर्थिक विकास सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
- यह दर्शाता है कि भारत संभावित महाशक्ति बनने की आकांक्षाओं के साथ क्षेत्र और वैश्विक मंच पर एक प्रमुख शक्ति बन रहा है।
एशिया पावर इंडेक्स के बारे में:
- इस सूचकांक को वर्ष 2018 से लोवी इंस्टीट्यूट द्वारा प्रतिवर्ष जारी किया जाता है।
- यह सूचकांक 27 देशों और क्षेत्रों को उनके विदेशों में प्रभुत्व के विस्तार की क्षमता के आधार पर रैंक करता है।
- पहली बार वर्ष 2024 के संस्करण में तिमोर-लेस्ते को शामिल किया गया।
- आठ विषयगत मानदंडों के आधार पर 131 संकेतकों के माध्यम से एशिया में अंतर्राष्ट्रीय ताकत का आकलन करती है।
- एशिया पावर इंडेक्स में शक्ति को संसाधन-आधारित और प्रभाव-आधारित निर्धारकों में बांटा किया गया है:
1. शक्ति के संसाधन-आधारित निर्धारक: यह इस बात का आकलन करता है कि देशों के पास क्या-क्या संसाधनहै। इसमें सूचकांक के पहले चार मापदंडों में आर्थिक क्षमता, सैन्य क्षमता, लचीलापन और भविष्य के संसाधन शामिल हैं।
2. प्रभाव-आधारित शक्ति निर्धारक: यह इस बात का आकलन करता है कि देश के पास जो संसाधन है, उसका क्या करते हैं। अगले चार मापदंडों में आर्थिक संबंध, रक्षा नेटवर्क, कूटनीतिक प्रभाव और सांस्कृतिक प्रभाव शामिल हैं।
भारत के रैंक के जिम्मेदार प्रमुख कारक:
- आर्थिक विकास: भारत की स्थिति विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसे इसके गतिशील कार्यबल और “मेक इन इंडिया” जैसी पहलों से बल मिला है ।
- सैन्य आधुनिकीकरण: उन्नत मिसाइल प्रणालियों और विस्तारित नौसैनिक उपस्थिति सहित रक्षा क्षमताओं के बढ़ाने हेतु अत्यधिक निवेश।
- राजनयिक प्रभाव: संयुक्त राष्ट्र, जी-20, ब्रिक्स और क्वाड जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों में सक्रिय भागीदारी, वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाना।
- तकनीकी उन्नति: अंतरिक्ष अन्वेषण, नवीकरणीय ऊर्जा और आईटी क्षेत्रों में प्रगति, जिससे तकनीकी क्षेत्र में भारत की अग्रणी स्थिति मजबूत हुई है।
- सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर: बॉलीवुड और योग सहित भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहुँच के माध्यम से सॉफ्ट पावर का बढ़ना।
महाशक्ति का दर्जा पाने की राह में भारत के सामने आने वाली चुनौतियाँ:
- आय में असमानताएँ: आय असमानता, जो सामाजिक स्थिरता के लिए खतरा पैदा करती है। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलती है।
- अवसंरचना आवश्यकताएँ: परिवहन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में महत्वपूर्ण निवेश की निरंतर आवश्यकता ।
- भू-राजनीतिक तनाव: पड़ोसी देशों, विशेषकर चीन और पाकिस्तान के साथ जटिल संबंध, क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर रहे हैं।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: सतत विकास और जलवायु परिवर्तन को कम करने के साथ तीव्र आर्थिक विकास को संतुलित करना।
जापान की क्षेत्रीय शक्ति में कमी होने के कारण:
- जनसांख्यिकीय चुनौतियाँ: धीमी जनसंख्या वृद्धि के कारण आर्थिक गतिशीलता और संभावनाओं को प्रभावित होना।
- सीमित सैन्य विस्तार: संवैधानिक शांतिवाद से विवश, सामरिक प्रभाव में अवरोध।
- आर्थिक स्थिरता: तीव्र आर्थिक विकास कर रहे पड़ोसियों की तुलना में अपेक्षाकृत सामान्य आर्थिक प्रदर्शन।
- भू-राजनीतिक रुख: अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अस्पष्ट दृष्टिकोण रखना।
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