संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु से जुड़ी आपदाएं एशिया-प्रशांत क्षेत्र के एक-तिहाई देशों को प्रतिवर्ष कम से कम 6 प्रतिशत की आर्थिक हानि पहुंचा सकती हैं, जो इस क्षेत्र की जलवायु परिवर्तन के प्रति गंभीर संवेदनशीलता को दर्शाता है।
अन्य संबंधित जानकारी

- “एशिया और प्रशांत का आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण 2025: जलवायु परिवर्तन के व्यापक आर्थिक प्रभावों की समझ” शीर्षक वाली यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के एशिया और प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) द्वारा प्रकाशित की गई थी, जिसे 8 अप्रैल 2025 को जारी किया गया।
- रिपोर्ट इस बात पर बल देती है कि क्षेत्र की कई विकासशील अर्थव्यवस्थाएं जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावों और हरित अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव का सामना करने में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र ने वर्ष 2024 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 60 प्रतिशत का योगदान दिया, फिर भी इस क्षेत्र के कई देश जलवायु आपदाओं का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं हैं।
- उच्च जोखिम वाले देश: विश्लेषण किए गए 30 देशों में से 11 देशों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न व्यापक आर्थिक जोखिमों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील पाया गया है, जिनमें अफगानिस्तान, कंबोडिया, म्यांमार, नेपाल, इस्लामी गणराज्य ईरान, कजाकिस्तान, लाओस, मंगोलिया, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं।
औसत वार्षिक क्षति (AAL):
- क्षेत्रीय औसत AAL सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4.8% है।
- कंबोडिया में यह क्षति सबसे अधिक है, जो लगभग 11 प्रतिशत GDP के बराबर है, जिसका मुख्य कारण कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाली भीषण बाढ़ और सूखा है।
- फिजी, म्यांमार और पाकिस्तान में AAL सकल घरेलू उत्पाद का न्यूनतम 7% है, जिसका मुख्य कारण कमजोर अवसंरचना है जो जलवायु आपदाओं के प्रभाव को बढ़ाता है।
- वियतनाम का जोखिम तेजी से हो रहे शहरीकरण और भूमि-उपयोग में परिवर्तन के कारण और भी बढ़ गया है, जिससे तटीय बाढ़ और तूफानों का खतरा बढ़ गया है।
क्षति के प्रमुख कारण: बाढ़, सूखा, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और हीटवेव जैसी प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता में वृद्धि, साथ ही कृषि, ऊर्जा और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कमजोर बुनियादी ढांचे और अधिक जोखिम का होना।
रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

- रिपोर्ट में सरकारों से यह आग्रह किया गया है कि वे अर्थव्यवस्थाओं को अधिक उत्पादक और उच्च आय वाले क्षेत्रों की दिशा में परिवर्तित करने के लिए सक्रिय प्रयास करें।
- इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र को हरित उद्योगों और सतत मूल्य श्रृंखलाओं में अपनी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, ताकि इन्हें आर्थिक वृद्धि के नए स्रोत के रूप में विकसित किया जा सके।
- दीर्घकालिक समृद्धि प्राप्त करने के लिए सर्वेक्षण में समावेशी क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
- इस सहयोग से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विकसित और विकासशील दोनों देशों की विकास आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए।